रानाथारु समुदायमे ‘होरी’ पर्व सुरू, ‘खख्डेहरा’ चैत १९

२१ फाल्गुन २०८०, सोमबार
रानाथारु समुदायमे ‘होरी’ पर्व सुरू, ‘खख्डेहरा’ चैत १९

धनगढी । जा वर्ष फागुन पुरनमासी चैत ११ औ १२ गते पडोहए। फागुन पुरनमासीमे सबय जाति तथा समुदायके होरी तिउहार मनातहएँ । सुदूरपश्चिम प्रदेशमे रानाथारु एक महिना पहिले माघशुक्ल पुरनमासी (१२ फागुन)के दिनसे होरी मनान शुरू करत हएँ । नेपालके सुदुरपश्चिम प्रदेश कैलाली , कञ्चनपुर जिल्ला और भारतके रानाथारु एक महिना (माघ शुक्ल पुरनमासी से फागुन शुक्ल पुरनमासी तक ) होरी मनात हएँ ।

माघ पुरनमासीक रातसे गाउँकी भुइयाँमे पधना या भलमन्सा पूजापाठ करके होरी धरन सुरु करतहए । भुइयामे सात कन्डा और गाउसे उठो भौ भेट ( फुल, आगरबत्ती) भलमन्साक घरसे पुरी पकाएके विधिवत पुजा करके होरी क सुरुवात होतहए,’ फागुन शुक्ल पुरनमासी नाआन्तक एक महिना प्रत्येक रात घर–घरमे जएके होरीक गीत गएके सव जनि मिलके सामूहिक होरी खेलन चलन हए । एैसी करके सुरुवात भौ होरी एक महिना पच्छु फागुन शुक्ल पुरनमासीक साँझके या सवेरे धरो भौ लाहिक टिटरो विधिवत पुजा करके पधना र भलमन्सा डुंगत हए । हिरण्यकश्यमकी ललो होलिकक पुतला बनाएके पुजापाठ करके जरानको चलन हए ।

धनगढी–७ देवहरिया गाउँक भलमन्सा जगन्नाथ रानाक अनुसार, रानाथारु समुदायमे एक महिना आठ दिन तक होरी पर्व मनात हए । भलमन्साक कहाइ अनुसार फागुन पुरनमासीक एक दिन रङ–अबिर खेल्त हए । ‘होरीक अन्तिम दिन खकडेहरा मे (माटीक गुल्ला ) बन्निक सिंकामे पोहेक घल्लक खपटोरामे धरके गाउँको दक्षिणी अपन गाउको खेरो ( सिमाना) मे गाउ भरेक जम्मा हुइके गाउँको भर्रा विधिवत रूपसे पूजापाठ करके सव जनि मिलके खख्डेहराके फोडके होरीक विधिवत विर्सजन करत हए ।

रानाथारू उत्थान मञ्च पुनर्वासके सचिव तिर्थराज रानाक अनुसार जा वर्ष फागुन पुरनमासी चैत ११ औ १२ गते पडोहए । फागुन पुरनमासि चैत १२ सवेरे पडनसे जा साल सबेरे होरी डुंगन और साँझके टिका पडो हए । टिकाको ८औ दिन (चैत १९ गते ) मे खख्डेहरा पर्व पडो हए । सुदुरपश्ञ्चिम प्रदेश सरकार चैत १९ गते खख्डेहरा पर्वके उपलक्ष्यमे विदा दइहए ।

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