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रानाथारु भाषाको पहिलो वेवासईत
२०८२ मंसिर २१ गते

सहित्य

सामनकाे डाेला  और तिज पर्वकाे महत्व

२०८१ श्रावण २२ गते मंगलवार

सामनकाे डाेला और तिज पर्वकाे महत्व

तिज मनानको परम्परा औ मान्यता  हर कोइ कविलामे मनाओ जान बालो त्योहारको अपनो अपनो मान्यता और विश्वाश होत हए ।... विस्तृतमा

Nandlal Rana

कविता-प्रित लगन

२०८० माघ ७ गते आईतवार

कविता-प्रित लगन

प्रेम पुजारिन बनिगओ मिलो आज उपहारप्रेम पामरी पैँधके भाजत आओ भर दुपहार  पिया पिया जिया कहए नाचए भितर मोररैन... विस्तृतमा

Nandlal Rana

राना थारूओं में तीज पर्व का महत्व ( हिन्दि भाषा)

२०८० श्रावण १८ गते बिहीबार

राना थारूओं में तीज पर्व का महत्व ( हिन्दि भाषा)

     राना थारू महिलाओं का यह विशेष पर्व है। सावन के महीनें में शुक्ल पक्ष के तृतीया को यह त्योहार तीज मनाई... विस्तृतमा

Nandlal Rana

भुलके फिर भुल ना सको

२०७८ असार २७ गते आईतवार

भुलके फिर भुल ना सको

भुलके फिर भुल ना सको,आज सपनोमे तुमके देखो, आइगइ याद बे पुरानि बात,पहिलो चोटि जब तुमसे भेटो, कोसिस त करो रहओँ अपनो... विस्तृतमा

Nandlal Rana

कुछ बात सुनन हए तुम्हरी

२०७८ असार १४ गते सोमबार

कुछ बात सुनन हए तुम्हरी

कुछ बात सुनन हए तुम्हरी,कुछ बात सुनान हए तुम्के,आधो हओँ मए अधुरी मिर जिन्दगी,जा इकल्लो पलकि याद बतान हए... विस्तृतमा

Nandlal Rana

मोहब्बत जबसे भइ हए तुमसे

२०७८ असार १३ गते आईतवार

मोहब्बत जबसे भइ हए तुमसे

मोहब्बत जबसे भइ हए तुमसे,मए कुछ बौलाइगओ हओं,बहे दुनिया, बहे जहाँ अलग लागत हए,मए जिन कहाँ हराइगओ हओं, चाहनवाले सबए त... विस्तृतमा

Nandlal Rana

गजल

२०७८ असार ४ गते शुक्रबार

गजल

तोके भुलगओ बाके भुलगओ,सारा दुनिया भुलगओ मए,जबसे लगालओ एक पेग,कतइ अपने आपके भुलगओ मए, जिन का नसा हए तिरमे,एकघरिमे... विस्तृतमा

Nandlal Rana

गजल

२०७८ असार ३ गते बिहीबार

गजल

अबओ तुमके सपनोकि दुनियाँकि सयर करामओ,अपनो दिलकि धड्कनमे खुब अच्छेसे सजामओ,अपनए के त कैसे सुथरे मानैगे र तुम,अबओ... विस्तृतमा

Nandlal Rana

‘सोरठकी साखी’

२०७८ बैशाख २५ गते शनिबार

‘सोरठकी साखी’

लक्ष्मि राना ( शिक्षक) धनगढी,२४ बैशाख । महल कुइ दैगओ झुकैँया रे ,हाँ रे धन मेरी सुनी सेज महल कुइ दैगओ झुकैँया... विस्तृतमा

Nandlal Rana

‘सबेरो’

२०७८ बैशाख २३ गते बिहीबार

‘सबेरो’

धनगढी,२३ बैशाख । ‘सबेरो’ जगमगात अजियारो लै के आबौ ।सब रानाथारुके दिल्ल दिमाग मे छाबौ ।।शिक्षा कि ज्योत सबके... विस्तृतमा

Nandlal Rana



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