कञ्चनपुर, ३ अगहन ।
भीमदत्त नगरपालिका वडा नं –९ चुरे पर्वत शृङ्खलामे अवस्थित स्वच्छ, सुन्दर औ मनमोहक झिलमिला ताल हए । तालको पानी नाघट्त हए न बढत हए । तालको पानी कञ्चन जैसो सफा ऐसो लागत कि दरपन हए । तालके चारौघना घनोजङ्गल हए । कहत हएँ पानीमे रुखक पात्ता झरनसे ना मिलत हए । तालको पानीको कोइ निकास ना दिखात हए । छिनछिनमे ताल रङ फेरन्से ताल देखन आनबाले पर्यटक मन्त्रमुग्ध हुइजात हए ।
चुरे पहाडमे अवस्थित झिलमिला ताल स्वदेशी औ विदेशी सबयक रोजाइमे हए । ताल क्षेत्रमे बहुतमेलकी चिरैयाँको आवाज औ नेगत जातपेती जङ्गली जनावर खन्दिक खन्दिक देखन मिलत हए जा से हिना आनबाले पर्यटकनके आनन्दित करत हएँ । तालके किनारेमे माता झिलमिलाको छोटासो मन्दिर हए । हिन पर मन्दिरमे मनोकाँक्षा लैके आनबाले पुजाकरत हएँ ।
कहतहएँ “गह्रोसंकटमे परे आदमि अप्नो मनोकामना लैके आतहए्, माता झिलमिलाक दर्शन करनसे मनोकामना पूरा होतहए कहिके विश्वास करतहए,” नेपाल रानाथारु समाजके अध्यक्ष तथा संविधान सभासद कृपाराम राना बताइरहएँ । “उनकि कहाइ हए झिलभिला तालसे हमर रानाथारुको संस्कृति जुडिहए । जैसे कि जौन गाउसे उठके जात हए नयाँ ठाउमे बहे नाउसे बुक सम्बोधन करके बुलात हए तओ साइत जाहिन्से उठके हमर पुर्खा शुक्लाफाँटामे जाइके बैठे तहिकमारे हिनक नाउँसे झिलमिला गाउको नाम धरीहए बताइ ।”
“मय छोटोसे जा ताल देखत आओ हौ, न त जक पानी निकास कहुहए, न त जा तालमे पानी कम होतहएँ , बर्खामे थुरबहुत बढत हए ,” आदिवासी जानजाति महासंघ सुदुरपश्पि प्रदेश महासचिब राजकुमार राना बताइहएँ औ बे कहि मिर सुनो आनुेसार “जा तालमे पताना कैसी शक्ति हए । जक बारेम आजतक कोइके पतानाहए ।” कहात हएँ सबेरे, दुपहार औ साँझके तिनदाँओ तालको पानी रङ फेरत हएँ । सबेरे सुनहरा, दुपहरामे निलो औ साँझके हरो रङ फेरत हए । समय औ पहर अनुसार रङ फेरन्से जक नाम झिलमिला धरोेगओ हए बताइ ।
जा तालको प्राकृतिक औ धार्मिक महत्व हए । प्राकृतिक रुपमे चारौघेन जङ्गलय जंगलसे घिरो हए । जा ताल हरेक दिन रङ अदलबदल करनसे मन लोभ्यात हए । दर्शनार्थिसे फेको भओ अक्षता औ भुजा खानके झुनडकि झुन्ड सिंगी मछरी पर्यटकनको ध्यान खिचतहएँ । तालमे दैवीय शक्तिकि मान्यताके कारणसे माछरी मारके खान नमिलत हए ।
कहत हए कुछ वर्ष अग्गु माछरीके पोलिथिनमे धरके घर लैजानताँहि रहए एक भारतीय नागरिक बेहास भओ रहए कहिके स्थानीय ब्यक्ति बतातहएँ । डेढ किलोमिटर लम्बाइको जा ताल चार बिघा क्षेत्रफलमे फैलो हए । सत्र मिटर गहिरो ताल आसपास साल, असैना, जामुनिक घनो जङ्गलसे ढाको हए । तालके आसपास गोरेटो डगर बनिहए ।
तालके चारौ दिशामे देवीदेवताको थापना करोगओ हए । दखिनघेन झिलमिला माताकी मन्दिर हए । माताकी मन्दिर नजीक सिद्ध बैजनाथ, पछार किनारमे काली अर्थात दुर्गा माता औ एक घेन पूर्णागिरी माताकी मन्दिर हए । हरेक दर्शनार्थी सबय देवी देवतानको पूजापाठ करके घुमके जातहए ।
झिलमिला ताल एक दाँऔ घुमनके मन सबको हाेबय ।