राेसनी राना
 विश्व भरमे फैलोहए कोरोना ,
  मानब जातीके नुक्सान पुगाइ कोरोना ,
 कित्नोके खान बैठनके ना हए ,
  कित्नोके रोग त कित्नोन के भुखसे मारी कोरोना , 
 जहाँ तहाँ लासै लास समस्या मे हए मानब जात , 
 आदमी देखके अदमी भाजे ऐसो बनाए दइ कोरोना , 
 हाहाकार फैलो भोकमरी फैलो हुइगए सब मागन बाध्य , 
 घरघरमे नाज निभट गओ , घरघरमे लकडाउन हए कोरोना , 
 मरन जिनको ठिकान हुइतो त सब छुडते घर कोरोना , 
 घर जान कि डगर न पाइ विचारो कोरोना ।
जा फिर पढाै
 किसन राना  
 कितनो सुथरो बनाइ तुमके भगवान , मन करत हए देखत  रहाओ ।
कब खुलय लकडाउन , कब तोसे अपन मनकी बात कहाओ ।
संग तेरी अपन पुरी जिन्दगी , नदियाकी पानी जैसी बहतए रहाओ ।
अपनी माया समुन्द्रसे गहिरो होबए , पुरी दुनियाँ कि अग्गु जाएके कहाँओ ।
जिन्दगीमे कित्नो फिर दुःख पडए , संग तेरी सब दिन साथ रहओ ।