धनगढी,११ अगहन ।
आजसे पाँच सय पचास बर्ष पहिले कि बात हए । भुइयाँघाट गाउँको नाव औ गाउँ कैसे बैठो कहिके हिनके स्थानिय व्यक्तिनसे पुच्छो तओ बे ऐसो बताइ रहएँ ।
भुइयाँघाट गाउँ
धनगढी उपमहानगर पालिका वडा नं. १० भुइयाँघाट पहिले जा गाउँको नाव भुइयाँघाट नरहए ।पहले पधना औ भलमन्सा गाउ बैठात रहए । भुइयाँघाट गाउ बन्धु रानाक दादो आजो बैठाइरहए आजसे साढे पाँचसय बर्ष पहिले । बन्धुक दौवक नाउ हरी राना दादो भमटा राना और आजो भुर्सा राना रहए औ बोसे अग्गु परदादोनको नाउ पतानहए ।
भुइयाँघाट गाउँके पछार ( अभय जौन गाउ धनगढी और भुइयाघाट कि बिचको ठाउँ ) ढखिया खेरो नाउक खेरोमे बैठत रहए ।पहिले बर्षौ पिच्छे बहुतमेलकि काइली ( विभिन्न मेलके रोग व्याधी , हैजा ) आतरहए तओ ढकिया खेरोमे बैठन ताँहि जौनके पधना बनामय बहे मरिजाबए तओ कहि पथराको पधना बनामय पथर तक फुटजाबए तओ कहि अब का करएँ ।
पहिले अस्पताल ना होतरएँ औ गाउके रेखदेख करन ताँहि गौटेहरा भर्रा धरलेकरत रहएँ । तओ गाउको ऐसो अवस्था देखके गौटेहरा भर्रा कहि चलौ भुइयाँफाँटासे भुइयाँ चुराएलामय तओ गाउके घरघरसे एक एक आदमि और आसपासके भर्रा मिलके भुइयाफाँटासे ५२ गाउँकि भुइयाँके मनाएके लैके आएरहएँ । भुइयाँ गाउके दख्खिन या गाउके तरे बैठारो जातहए ।
दन्तारी भुइयाँ
दन्तारी भुइयाके बारेम स्थानिय व्यक्तिनको अलग अलग कहाइ हए । कोइ कहत हए ५२ भुइयाँ मैसे एक सबसे बडि और सब छोटी भुइयाँ हए तबहिसे दन्तारी भुइया कहिहए । कोइ कहत हए जौन ठाउमे भुइयाँ लाएके धरीहए बो ठाउमे पहिलेसे दनमा –(दानो) रहत रहए तहि बो ठाउसे दन्तारी खेरो कहत रहए ।
कोइ कहत हए एक दाँव तिन दिदीबहिनिया व्याहखाएके अपन घर आनपेति रात हुइगै तओ कहि अब कहाँ जामए तओ उनके एक मडैया दिखानी तओ बे कहि आज जहे मडैयामे रातभर बैठए और कल सबेरो होतय उठके चलेजामंगे । उनके पता ना रहए कि भुइयाँ हए बे त सोचि लखबनियाँ कि मडैया हए ।
जब रात भऔ तओ एक मोटोसो रक्षेस ( दनमा ) निकरो तओ बो राक्षेस गिनए एक खाँव दुइ खाँव तिन खाँव तओ बेमैसे एक जनी जगत रहए तओ बो देखए और रक्षेस कि बात खोबय सुनए । जैसी रक्षेस हमके खान समरो तैसी एक बघटामे बैठी एक बहुत सुन्दर बैयार आइपुगि औ बो कहि तय यिनके काहे खात हए जे मिर पहुना हए मिर घरमे आएके बैठेहए ।
तओ रक्षेस कहि तओ मय का खामौ तओ बो कहि यिनमैसे जौनको मुड उत्को होबैगो बहेके तए खालिए इतकय बात मए सुनो तओ मय धिरेसे उठके देखो हम मैसे एक जनिक मुह उत्को पडो हए मयँ धिरेसे बुक मुडपैत उढाएदओ बताइ ।
तओ रक्षेस हमके देखत हए कोइको मुड उत्को ना पाइ तओ बो फिरके बहे बघटामे बैठी बैयर ठिन गओ औ कहि कोइको मुड ना उत्को हए । अब मय कोइके ना खामँगो कहि और हुनसे चलो गओ । सबेरे भओ तओ बे हल्दी हल्दी उठी तओ देखत हए भुइयाँ कि मडैयामे सोइहए ।
तबहिसे दन्तारी भुइयाँ कहिके कहन लागे बतात हए । जा भुइयाँमे बघटा फिर आत हए ।
अभय कुछ दिन पहिले भारतको दुधवाक बनसे बेढम हाँथिया आएरहए बे जा भुइयाँमे ढोकलागके चलेगए कहिके हिनके स्थानिय आदमि कहत हएँ ।
पुजापाठ
जा भुइयाँमे सच्चे मनसे जो मागत हए बो पुरो होतहए । दन्तारी भुइयाँमे असाडि या व्याहाके बेरा ५२ जोडा पुरी,लौंग,जैफर चढात हए । भुइयाँके ताँहि मन्दिर बनबाइ पर भुइयाँ मन्दिर भितर ना बैठी ।