समाजिक संजालमे मेरी सोचाइ

१५ पुष २०७६, मंगलवार
समाजिक संजालमे मेरी सोचाइ

सोनम राना

धनगढी ,१६ क्वाँर २०७६ । समाजिक संजाल कहेसे हम एक नेटको माध्यम करके सम्झत हएँ । जा हरेक ठाउँमे पुगो औ सबए मनइके हात हात तक पुगो भओ विद्दुतिय, तारविहीन सबको साझा समाजिक संचार हए । दुनियाँमे जो चाहो हए बहे आवश्यकताके रुपमे निर्माण भओ दुनियाँको हर कुनैठोमे पुगन सफल भओ आदमी आदमी बीचको अन्तरसम्बन्धके भावनात्मक रुपसे कायम करनबालो जा समाजिक संजालके रुपमे जनाइदेत हए । संचार जगत्मे दुनियाँको सबसे जल्दी काम करनबालो संचार माध्यमके रुपमे समझ सकत हएँ ।

खासकरके अभेकी दुनियाँमे मोबाइल औ कम्प्यूटरके सहारे अपनो मनकी बात, विचार, तस्बीर या औ चीझ सबके चहूँ अपन मनके आदमी तक जल्दीए पहूँचानको काम जा समाजिक संजालको हए । आजकल छोटेसे बडे बुढे तक अपन हातमे मोबाइल फोन लए होत हएँ । जा माध्यमसे दुनियाँको हर अगठो काम सुगतो तवरसे करत हएँ ।

एक दुसरेसे बातचीत करन सुगतो होत हए आदमी दूर होएसे फिर काम बन्जात हए । समाजिक संजाल एक प्रकृया इकल्लो नाएकी जा आम जनताकी सोचाइ औ बुझाइ अनुसारको सकारात्मक नकारात्मक (उल्टासूधी) रुपसे काम करनबालो एक धारणा हए । जा प्रकृयाके बारेम हमर मनमे अलौकिक अचम्मो सोचाइ आनलागत हए । इन्टरनेटके माध्यमसे गुगल, ट्वीटर, फेसबुल, इस्टाग्राम जैसे तमान एप्लीकेशन दुनियाँभर फैले हएँ ।

आजकी दुनियाँ विकासको २१औं शताब्दीको अन्त्यकी मुह बनी हए हिनासे पता चलत हए हमर बाल बच्चाकी आनबाले २२औं शताब्दी कौन किसीमको हुइहए । जा ता कल्पनासे बाहीर हए तबहीमारे जा एक छोटोसो लेखमे का कहन चाहत हौं कि हम जो रहएँ जैसे रहएँ उइसो अपन बालबच्चाकी जिन्दगी ना बनामएँ ।

एक नयाँ किसीमको सोच विकासके साथ दुनियाँमे अपन पहिचान बनामएँ । आज दुनियाँ गजब तरक्की (अग्गू) बढीगइ बहे सोचाइसे अपन सोचाइ अग्गु बढामएँ । दुनियाँकी पहलमे हम एक पिछडे जातीके रुपमे हएँ अगर हम आजकी दुनियाँकी सोचाइकी संगए चलंगे तओ हम अपन पहिचान बनाए सकत हएँ । संस्कृति, समाज, भाषा, कला, पैंधाव, उठन बैठन, घरबास, कामकाज, लगनशिलता सब औरेनसे अलग हएँ जेहीँ चिझके समाजिक संजालमे बनाएके अपन समाजको विकास कार्य अग्गु बढाए सकत हएँ ।

सबए प्रकृयाके साथ आज रेडियो, टिभी, इन्टरनेटके माध्यमसे मानवहीतको धर्म, पेशा कार्य, अर्थव्यवस्था सहज बन्त गओ हए । जे सब समाजिक संजालके सुविधाके व्यवस्थित माध्यमके रुपसे लाएसकत हएँ । ऐस् िएक हमर समाजको नयाँ सोचाइ फिर बनान कार्ययोजनामे आधारित समाज विकासको माध्यम हए समाजिक संजाल ।

समाप्त

ध.उ.म.न.पा ११, बेला
(बी.ए पत्रकारिता तेश्रो बर्ष, कै.बहुमुखि क्याम्पस , उजियाराे रानाथारू डटकमसे )

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