“कोरोना”

२२ भाद्र २०७७, सोमबार
“कोरोना”

राेसनी राना
विश्व भरमे फैलोहए कोरोना ,
मानब जातीके नुक्सान पुगाइ कोरोना ,
कित्नोके खान बैठनके ना हए ,
कित्नोके रोग त कित्नोन के भुखसे मारी कोरोना ,
जहाँ तहाँ लासै लास समस्या मे हए मानब जात ,
आदमी देखके अदमी भाजे ऐसो बनाए दइ कोरोना ,
हाहाकार फैलो भोकमरी फैलो हुइगए सब मागन बाध्य ,
घरघरमे नाज निभट गओ , घरघरमे लकडाउन हए कोरोना ,
मरन जिनको ठिकान हुइतो त सब छुडते घर कोरोना ,
घर जान कि डगर न पाइ विचारो कोरोना ।

जा फिर पढाै

अपनी मनकी बात

किसन राना
कितनो सुथरो बनाइ तुमके भगवान , मन करत हए देखत रहाओ ।

कब खुलय लकडाउन , कब तोसे अपन मनकी बात कहाओ ।

संग तेरी अपन पुरी जिन्दगी , नदियाकी पानी जैसी बहतए रहाओ ।

अपनी माया समुन्द्रसे गहिरो होबए , पुरी दुनियाँ कि अग्गु जाएके कहाँओ ।

जिन्दगीमे कित्नो फिर दुःख पडए , संग तेरी सब दिन साथ रहओ ।

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