धनगढी , १२ भादाैँ ।
कैलाली और कंचनपुर दुई जिल्लामे बैठतआए रहे रानाथारु समुदायक और समुदायहानी अपन भाषासंस्कृति हए । अलग रहन सहन लगान खानपिनसे लैके रिती संस्कृती अन्य जाति समुदायसे फरक हए । जा समुदाय जन्मजात कृषि पेशामे आश्रीत हए । गैयाँ ,भैसीया पालन अपनक मुख्य धर्म मानत हए । लेखपढ से बन्चित अलिखित गित,बात के एक पुस्तासे दुसरो पुृस्ताके हास्तान्तरण करत आएरहे हएँ ।अभय संघन बस्तिके कारणसे एक दुसरे समुदायके देखके अपन बोलिभाषा भुलत जायरहे हए । जहे क्रममे रानाथारुको पुर्खौली ठडिया नाँच , झिझिँ नाँच , ढोलकि गित , हन्नानाँच से लैके तमान मेलकी गित,बात छोडत जाएरहे हए । समयमे जक संरक्षण नकरनसे रानाथारु समुदायको अस्तित्व खतरामे पडजाबैगो जक संरक्षण करन बहुत जरुरी हए कहिके हमर रानाथारु डटकम कि टिम कञ्चनपुर कि कृष्णपुर नगर पालिका वडा नं. ३ देखतभुलिमे जाए पहुचे हए । हिना पर पुराने दुई मोढी हएँ एकको नाव गुलाबी राना और दुसरेक नाव रंगै राना हए । तओ हम उनसे पुछे ।
रानाथारु समुदायके आदिमी पहिले बहुतसि गित , बात , नाँचकुद खेलत रहए पर अब कोइ न खेलत हए तव तुमहर कहाइ का हए जा मे ?
मोढी , अब बहुत से गाउमे खेलन छोड दइ हए , जे चिज त छोटेसे देखेसे तओ सिखत हए अब बच्चा सब पढन ताँहि कोइ बाहेर बजारमे जाइके डेराधरके पढत हए त कोइ वढीया स्कुल, कलेजमे पढत हए । तव बे कैसेके सिखंगे और कब खेलंगे तहिक मारे धिरेधिरे हरात चलो गओ हए ।
मोढी हो तुम अपन जवानीमे बहुत नाँच खेले हूइहौ अब काहे न खेलत हौ ?
पहिले त सब जनि खेलत रहए । एक गाँवमे ८।९ नाँच होत रहए ।और अब पहिले हानि मोढीयु नारहिगए हएँ और दुसरे समुदायके आदमी आइगए हएँ बे समझ न पात हए का जे चिल्लात हए । और हमर बच्चा फिर जामे गानबालि गितके नसमझ पात हए । अब त नाँच खेलनबाले आदमी तक नरहिगए हएँ ।
मोढी हो तुमके नाँच खेलन मन लागत हए ?
काहे न लागैगो , अब कहाँ मिलए सब साजबाज कोइ गाँवमे मोढी हए त कोइ गाँवमे मदारी हए और कोइ गाँवमे नचनियाँ हए तओ ऐसेमे कैसे होबैगो नाँच । नाँच त तालबन्धान से होत हए । तहिक मारे मन लागेसे फिर का करएँ ।
जाके एक दुसरे पुस्तामे हस्तान्तरण करन ताँहि का करन पडैगो ?
जा त तुमहर जैसे पढेलिखे आदमी सोचङ्गे हमर त अब जिन्दगी गैभइहए ।
मोढी हो अब हम प्रसंग बदलत हएँ ? आपनको ठाडिया नाँचको इतिहसके बारेम बताए देवौ ? कहाँसे कैसे शुरु भओ रहए जा नाँच ।
बहुत पहिले एक समय कि बात हए अन्जली कि कोख से हनुमान को जन्म भव रहए । एक दिन हनुमानके बेढमजोर से भुख लागि भुख मिटान ताँहि अइयासे खानु मागन लागो तव बुक अइया कहि रे भइया बहुनपर जा लालबेर तोरके खा लिए ।जब हनुमान बेर खान गौ छोटी छोटी बेर बुक आँखीमे न लागए । बोके बेढम जोड से भुख लागि रहए । तहिक मारे बो अलमलाइगौ और सबेरे सबेरे लाल निकरो दिनके खाइगौ । दिनके खात खिना चारौतर्फ आँधियारो हुइगौ । संसारमे हा हा कार मचिगौ । दिन कहाँ गैभौ अभय त निकरो रहए । तव सब जनी भगवानके प्रथाना करी भगवान अन्तरध्यान हुइके देखत हए त हनुमान अपन मुहमे दिनके धरेपडे हए । हनुमानसे दिन मागत हए तव बो दिक्कात हए । अब का करनपडो कहिके सब भगवान सल्लाह करी और सल्लाह अनुसार सब भगवान मिलके नाँच खेली रहए तहु हनुमान ना हाँसि तव भगवान स्वायम अपनय स्वाँग निकारी हए तब जाइके हनुमान हाँसी हए और दिन मुहुमएसे निकरके बादरमे चलो गौ औ फिर से पहिलि हानि उजियारो हुइगौ तबहिसे ठडिया नाँच खेलनको चलन हए बतात हए ।
जा नाँच कब कब खेलत हए ?
जा नाँच , घडा , मगनी , अट्टमीमे खेलत , मनोरञ्चनके रूपमे फिर खेलन मिलत हए ।
कए जनि होत हए जा नाँचमे ?
ज ठडिया नाँच मे ६ जनी झाँज बजान बाले होत हए एक जनी मदरा बजात हए औ एक जनी महिला कपडा पैधके नाचत हए । जा नाच पुरूष इकल्लो खेलत हएँ ।
मोढी हो ज नाँचमे कैसी कैसी गित गात हए ?
जा मे बहुत मेल कि गित गात हए । अच्छो मोढी होबैगो कहेसे रात भर एकय गित गाएके रात कटा देतहए । मिर कहाइको मतलब का हए कि गितसे फिर गितकी राग से हए । हमर ठडिया नाँचमे बहुत राग हए । जैसे कि नबदो ,कनरी , कान्हरो ।
तओ मोढी जी अब हमय बतादेवौ कि कौन समय मे कैसी गित गात हए ?
साँझके जब नाँच होबैगो तव नबदो से शुरु होतहए ।
क) नबदो कि गित
अरे हाँ बडे सुत नैना उनके बालिक रुप आरौ ,
बडे सुत नैना उनके बालिक रुप ।
अरे हाँ देश देशके भुपजुडे हएँ लम्बे पडे विछौना हाँ रे ,
अरे हरे लम्बे पडे बिछौना हरे ………
राजा जनक कि क्वाँरी कन्या व्याहन अए राजा दशरथके ललन रे ।
बडे सुत नैना……
अब जक पच्छु । थेइया अबैगी
ख) थेइया कि गित
त थेइया त थेइया रे दिया धरे हरे ,दिया धरे हाँ हाँ रे ।
अरे हाँ त थेइया त थेइया , थेइया थेइया रे दिया धरे हरे हरे ।
१) अब जक पच्छु कौन्सी गित अबैगी मोढी जी हो <
ग) अब खिर ख्याल कि गित अबैगी
बड सरी पवन भफस को र रे , धन ठाडो भिजय आँगन हो ।
क्याहाँ बदरीया रे उमड रही हए रे (२)
ओ हो क्याहान रे क्याहन बरसन हारै ,
धन ठाडी भिजय आँगन रे …………….
मोढी हो जे गित कितिखिन गात हए
जे सब रातयके गात हए ।
घ) जक पच्छु कल्याण कि गित अबैगी
खेलत है रे चारौ भइया अगन बिच खेलत हुइहए ,
अरे हाँ हाँरे …..
कौनके हएँ हो भरत चतुर हाँ हाँ रे …..।
अरे हाँ भरत चतुर हए हाँ हाँरे ।
च) अब खिर कनरी कि गित
प्रित करौरी राधी बे मोहन जी से जोर प्रित पछतै हौ ।
अरे आपने गरज से हरे अरे मोहन स्वामी रे पैयाँ परै रे पुटलाबै ।
छ) बन्डी कनरी कि गित
विकट बहान कुन जन मै चलौ री सखिया हिल मिल खेलय ।
हए चलौरी सखीया हिल मिल खेलए …….।
हाँ रे कौन जनकी धिरिया बहुरीया हाँ हाँ री अरे हाँ धिरिया बहुरीया हाँ रे ।
कौन राजन कि हौ नारए चलौरी सखिया हिलमिल खेलए ….।
ज) जा के पच्छु कान्हरो कि गित
अरे हाँ ढुडन निकरी सा खिला विरज नगरी हो , कहाँ रे गए री मेरो कन्हा कुवारो ।
अरे हरे नन्दा जी को विहारी सकेला हितकारी आरौ हरे हरे ।
सुनौ चन्दा विहारी हैए रे भाला किताए बिछुडिगए ।
अरे हाँ अरनसरन प्रभु दास तुमह रे दिन बन्धु सुध लिजौ ।
अरे हरे…. कौन गुन सैयाँ कौन गुन हमके विछडे अरे जहे बन बिच कहाँ रे गए हौ मेरे कन्हा कुवाँरो ।
झ) जाजाबन्ती कि गित
हरे सु मला मेरो लैए गओ नन्दा जी को लाल (२)
माला तौ मेरो लैए गओ हए आँचल काहेक फारी ।
अरे हाँ आँचल काहेक फारी ….।
ऐसो कनहा रे वडो व्रिज बासी आरे छतियन दाग लगाई गओ नन्दा जी को लाल ।
झ) बिहागरो कि गित
हए हाँ दुलहु पिया परदेश कब देखु मय जाइके ।
हाँ हाँ एकत बैरन मेरी ननद दुलारी रे अरे हरे एकत बैरन मेरी ननद दुलारी रे मोसे ओढो न जाबय हो ,दुलहु पिय परदेशव कव देखौ मय जाइके ।
ञ) केदारो कि गित
विछुडन कैसे के हो मय री मए नही जानौ ।
अरे हाँ एकत विछुडए चकइ चकवा हा हाँ रे ।
अरे हाँ हाँ चकइ चकवा हा हा रे , अरे हरे रैन विछोड हुइ जाबै मय नहि जानौ ।
ट) रेखता कि गित
गोरी रंग तुमरा प्यारा री फुलौसे नैन मिलाता हए । ( २)
अरे नैन तेरे खुव बने हए काजर से जिडबया हए । अरे काजरसे जिडबया हए ।
अरे भौँ त तेरे खुब बने हए अरे सैनौ से बुलबाता हए , गोरी रंग तुमरा प्यारा हए ।
ठ) अरानो वयानो कि गित
हाँ भोर भए जब निरख हो रघुपति दुर गए री जब चेत भई ।
मेरे लाल कितय बैठे रघुपति कितय बैठे लक्षमण ।
हाँ हाँ किताय बैठी सिता माता तप जन करए रम जो दुर गए जब चेत भइ ।
ड) पंजामी ख्याल कि गित
बजाबय आधि रात बजाबय आधि रात विन्द्रा बन मुरलीया बजाबय आधि रात ।
हरे काहेन कि तेरी बनी मुरलीया रे , हरे हरे काहेन कि तेरी बनी मुरलीया हाँ हाँ रे ।
काहेनको सुर बेन रे अरे काहेनको सुर बेन , बजाबय आधि रात ।
ढ) लिला गित
अब हम आधि रात पुगे हए जे गित तव खिर गात हए ।
फिरहु भरत घर जाव करम मेरो ऐसो लिखो । एतो भरत गए वन चरन संग हमहु जएहएँ हो । संगय पडे कि लाग सेव हम करय तुमारी ।
तुम बन खडा हम नगरी अजुध्या सुरत न विछडो होवय रे ।
अरिए तुम धरनी हम निचे रएहएँ राज हमरो किस काम , करम मरो ऐसो लिखो ।
ण) कथा
साधुन के री गुरु ज्ञान सुनौ रे भइया अमर कथा ।
हरे हो साधुन के गुरु ज्ञान सुनौ रे भइया अमर कथा ।
ए तो अमर कथा स्वामी हमय सुनाओ मेरो मन भवय ।।
हरे मानब चोला फिर न मिल हए तन दुरलभ सुनौरे भइया अमर कथा ।
त) मंगल गित (मुर्गाबान कि गित )
एजी रे सिमर सिमर गुन गायौ सामु मेरे हिया बसे , सामु मेरे हिया बसे ।
ओ हो रहियो रे रहियो जमकय पास पाप दुःख दुर खडो ।
एजी रे ग्वालाबाल सब संग धेन चरामय रे ।
ओहो बाजत रे अरीए बाजत मधुरी बेन ग्वाल रिझामय ।
मोढी जी अब हम कहाँ पुगय हए कित्तो रात हुइगइ हए ?
थ ) अब हम सबेरो पुग्गए हए । सबेरे प्रभाति गित गात हए ।
गित , अरीए तानी तेना तानी ना ना रे तानी तेना ना तानी ना ।
अरीए देखौरी बाला जोगी मेरे द्वारे आओ बाला जोगी मेरे द्वारे आओ ।
एक लटि बोक अन्धेकन्धे एक लटि छिटकए रे , एक लटि छिटकए रे ।
अरे हो एक लटिमे शेष नाग हए एक लटिमे गंगा माय रे देखौरे बाला जोगी मेरे… ।
द) कफि गित अब सबेरो मे गानबालि गित हए
अरीए तानी तेना तानी ना ना रे तानी तेना ना तानी ना ।
धिरे चलौ रे हम हारे हो लक्षमन भइया धिरे चलौ रे ।(२)
भुखे जो होते भुजन सिजातो रे , भुखे जो होते भुजन सिजातो रे ।
ओहो बैठक करौ जिउन लक्षमन भइया धिरे चलौ रे ।
ध) विलावर गित
हरे हरे अम्बर दिजौ मेरी कन्हा मुरारी हो अम्बर रे ।
अम्बर दिजौ मेरी कन्हा मुरारी हो अम्बर रे
न) रामकली गित
अरीए जी तानी तेना तानी ना ना रे तानी तेना ना तानी ना ।
हर जी डुलिय छधनाधना गइ अकेलीधना डुलीय छधना हो ।(२)
कहेनी कि रे तेरी डुलिया बनी हए , काहेन रे । हरे हरे डुलिय बनीहए काहेन रे ।
हरे हाँ रे प्रभु कए रे लगे कए हारए अकेलीधना डुलिया छधना हो ।
प) धनासेरी गित
अरे हाँ रोकय जाटजटाइ कोइ रथकै रोकए जाटजटाइ हो । (२)
अरे करता विलाप सिता रथमे बैठेरे सरन सरन गोहराबए , सरन सरन गोहराबए ।
अरे हिना कुइ होते रे रामा दलके रे हमके लेते छुडए , कोइ रथ कै रे रोकत जाटजटाइ ।
फ) झिगडो गित
हरे मथुरामे होती अनन्द कन्हा मुरली रे धरे । (२)
पितम्बर कि ज्योति प्रगट भई रुप दिखाइ उदभुद लिला गाई देव के लियो जगाई ।
हारे बारी रैन धर्म रे वितो मन्डील भए उजियारो ,अरे हाँ वितो मन्डील भए उजीयारो ।
अरे कुन्डी कुलप बदनसे छुटी बालक चेत अदान कन्हा मुरली रे धरे ।
ब) स्वाफि गित
जा जगमे री अनरीत हए रे साधौ इन्द्रमय रिननविनए रहए ।
मैया कहे मेरो पुत्र जो आए बापु कहे सुत मेरे , ओहो बहिन कहे मेरे भैया जो आए , भइया कहे मेरे बहा रे जगमे री अनरीत हए रे ।
भ) झुमरा गित
अरीए जी तानी तेना तानी ना ना रे तानी तेना ना तानी ना ।
हे राजा जी हरे लुकत न देखो पारधी रे कि लागत नहि देखो बाण मय तो बुझौ सखीरे किस गुन तजीगए प्राणरी सखीए , ताने तेना रे तानी ना हो ।
हे सखी रे हरी राँगा चाँगा घैलारी गुजरी पटस रंगइ पटस रंगइ ।
हरे हो बरो रे छैला मोके गगरी भरन दैदे तानी तेना हो तानीना हो ।
म) लिला अउर कथा ( दुपहार भर गामंगे )
य) मलार गित दुपहर खसको तव से
लए चलियो रे सजना रे अमरपुर , हाँ अमरपुर लएचलियो ।
कि रे अमरपुर लगि हए बजार हाँ लगि रे हए बजारए ।
अरे सौदा रे सौदा हए करन अमरपुर लए चलियो ।
र) सोरठ गित
अरे मय ता तेरे साथ चलंगो बहे बन बिच । ( २ )
हरे जा बन बोलए कारी कोइलीया बा बन बोलए मोरा ,
हाँ रे बा बन बोलए मोर ….।
अरे रैन निधआवत नाहि चितवित हुइगओ मोरा , मयँ ता तेरे संग चलंगो ।
ल) सांझानट गित
हरे गोकिल कन्हा जनमो ( २)
चलौ सखी देख आमयँ देखियामय दर्शनकरि यामयँ ।
अरी कहाँ रे क
हा तेरो जन्म भओ रे जनम भओ तेरो जन्म भओ ।
ओहो लओ और कहाँ लओ औतार दर्शन करीयामयँ , दर्शन लइयामयँ ।
गोकिल कन्हा जनमो …….. ।
व) संझौली गित – दिन बुडे गानबालि गित
दियना धरौ री पजारी सुख साँझ रे भओ । ( २)
हारे काहेन को तेरो दियना बनो हए तेरो दियान बनो हए ।
अरे हाँ दियान बनो हए ……….।
ओहो काहेन रे अरे काहेन गिरदा पजारौ सुख साँझ रि भओ ।
मोढी जी तुम इतनो गित गाए हौ का लिखेपडे हौ , किताब त न बनाए हौ ?
किताब न हए बस याद हए । और गित हए , तिउहर अनुसार गित बनि हए । जैसे कि अट्टमी कि गित दुसरे हानी गात हए । अट्टमीमे गारबाैटी , जन्माैटी कि गित गात हएँ ।
बतातहए तुम एक किताब लिखे रहौ बो किताबको नाँव का रहए ?
हाँ मय होरी कि गित कि किताब लिखे रहए बो मे होरी कि इकल्ली गित रहए । बोमे नाँच कि गित न रहए ।
किताब लिखनको हौसला मोढी जी तुम कहाँसे पाए रहौ ?
बस अइसीयए दिमाग मे आइ गित त हमर ठिन रहए और बहेक किताब छापबाय दए ।
नाँच कि और होरी कि गित फरक फरक होत हए ?
हाँ फरक होत हए । नाँचको राग दुसरो होत हए और होरीको राग दुसरो ।
अब मोढी जी हो अगर कोइ तुमसे कएहए कि मय किताब छापदेमंगो तुम मोके लिखके देबौ तौ तुम दएसकत हौ कि नाए ?
काहेना ,एसो कौन होबय हम त जहे सोचत हए कि हमर जा गित कोइ लएलेबय अब ऐसो कोइ न हए ।
अन्तमे मोढी जी हो जे हमर संस्कृति अब लोप होत जाइरहि हए तौ इनके बचान ताँहि समाज का करसकत हए और उनके का संदेश देन चाहत हौ ?
मिर सबय ददाभइयानसे विन्ती हए जक जैसे तैसे करके बचान पडो ताहि हमर आनबाली पिढी फिर जानए कि हमर पुर्खा ऐसे नाँच खेलत रहए । अपन भाषा संस्कृतिकि संरक्षण हए सब जातके लोग अपन संस्कृति बचात हए और हमर रानाथारु ददाभइया अपन संस्कृति भुलत हए । संस्कृति संरक्षण से हि हमर पहिचान बनोरहबैगो । अाैर जानन ताँहि youtub दिखियाे ।
समाप्त