धनगढी,१४ बैशाख ।
रानाथारु समुदायमे बैसाख १५ गते बैसख्खी चराईं मनाए रहेहएँ । चराईं साल भरमे दुई दप्फीर मनाओ जात हए, पहिली चराईं चैतमे औ दुसरी बैसाखमे । चैती चराईं बडी चराईंके रुपमे मनाओ जात हए । २०७६ चैत १३ गते चैतक उजियारीक पहिलो बृस्पतके दिन पडो रहए कहेसे बैसखखी चराईं जहे बैसाखकि उजियारीक पहिलो सुम्मारक दिन मनाए रहे हएँ । चराईं गाँवक जौंरी बारो बन चहुँ बगियामे जाएके प्रकृतीक पुजा भलमन्सा , चाकर औ गौंटेहर मिलके करत हएँ । घर घरसे चराईं चरनबारी बैयर चेंचर , मिसौला , मेलमेलके चखना पकाएके लैजात हएँ । बेही पके चिज औ भेंटसे गौंटेहर पुजा करत हए । पुजाके पच्छु बर्त बैठी सबए बैयर औ लौडीया बर्त खोलके एक दुसरेमे बैना बाँटत हएँ । चेंचर औ मिसौलक बैना माया , प्रेम , सदभावक बैना के रुपमे लओ जात हए । बे होरी खेलके समाजीक बन्धनमे बाँधत हएँ ।
गैभइ चैती चराईं बिना धुमधाम औ बिना इकट्ठा हुइके मनाईं रहएँ । विश्वब्यापी रुपमे फैलो नोभेल कोरोना भाइरस के जितन ताँही नेपाल सरकारक निर्णय लकडाउन के नियम मानतए रानाथारु समुदयमे घरएमे बैठके , समाजीक दुरी बनातए चैती चराईं मनाईं रहएँ औ बैसख्खी चराईं फिर घरएमे बैठके मनाहएँ कहिके सबय से अनुराेध हए । रानाथारू समुदायकाे बिशेष पर्व बैशख्खि चराँइ कि उपलक्ष्यमे सबय ददाभइया दिदीबहिनियाँके हार्दिक मंगलमय शुभक हए ।