इतबारिक मुह दिक्कक मारे… ले एकौर ( इतबारी और मगरू कि बाँकि बात )

१५ पुष २०७६, मंगलवार

धनगढी,१७ भादाैँ २०७६

इतबारी ःमगरु के फोन मे ” मगरु कहाँ रे हरानो ⁄  हरानो रहत हए ? आज कल त बातौचित नैया ।

मगरु: हं ऐसि हए , कल इतबारी व्रत रहौं रे इतबारि । तए रहोकी नाए रे ?

इतबारी : अरे मोके अर्त व्रत मतलब नैया मगरु । मएत तोके अट्टमिम त बताओ रहौं रे भुल गौरे भुलक्कड।

मगरु: हं तएत क रहबै इतबारी व्रत ।हए इतबारी तोके का मतलब इतबारी व्रत रहन तिर त नामए इतबारि ह ह ह……हए इतबारी ह ह ह….

इतबारी : ( इतबारिक मुह दिक्कक मारे लाल और जोर से मगरुक मुहमे मुक्का मारत ।) ले …. ( एकौर मुक्का मारत ) ले एकौर… ।

मगरु: (मगरु मुहसे रगत पसोनत ) मए तिर का बिगारो रे मर्कम्डा बर्धा जब देखौ जब मारत।

इतबारी: चुप रहो नत दुई चार और मिलंगे। खुब किसबात हए न इतबारी इतबारी कहिके । एकत मए इतबारक जन्मोत इतबारी कहिके मिर नामए बिगाड दैं औ उपरसे तए खिसबात !

मगरु: (रोतए) तौका तेरो इक्कल्लो नाउँ बिगडो हए रे । मिर देख मए मंगर के जन्मो मिर नाउं मगरु । आपन एकए कठौवाके मारे त हएं रे।

इतबारी: हं हं … बोत हए .. पर मए मए … ले ले माफ करिए ! ऐसि हए दिक्कक का करए रे ।

बाँकि बात …………………

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