धनगढी, २२ गते माघ । २० बर्षसे लम्मो समयसे पहिचानके ताहीँ संघर्ष करत आओ रानाथारु समुदाय नेपालको आदिवासी जनजातीके रुपमे अपनो पहिचान पाई हए । नेपाल सरकारक् मन्त्रि परिषद् को कचेहरी (बैठक) माघ २० गते अनुसार रानाथारु समुदायको माग औ विज्ञको सुझावके अधारमे अलग पहिचान भओ हए जा निर्णय कल्ल २३ गते संझाके नेपाल सरकारके प्रबक्ता मार्फत घोषणा होबैगो । वि.संं २०५६ सालमे बो बेराको सरकार आदिवासी जनजाती सुचिकृतमे रानाथारु छुटोक मारे लगातार पहिचानको आन्दोलन कर्त आए रहएँ । जा निर्णयसे लगभग साढे तीन लाख की रानाथारु अवादी १३४औं गाउँमे खुसिक मारे दिया दिवारी हुइरही हए । मन्त्री परिषद्को जा निर्णयसे रानाथारु समुदायके इकल्ले प्रतिनिधी सभा सदस्य नारदमुनि राना उत्साहीत भए हएँ औ अव जा पहिचान सँगए अधिकारको फाटक खुलो बताई हैं औ जा निर्णयको स्वागत फिर करी हैं ।
बहुत संघर्प औ मेहनतसे जा सरकारको जा ऐतिहासिक निर्णयमे हम खुसी व्यक्त करत हएँ औ जा सरकार सही पहिचानके ताहीँ पुरो समुदायके तर्फसे धन्यवाद देन चाहत हएँ कहिके नेपाल रानाथारु समाजके केन्द्रिय अध्यक्ष कृपा राम राना बताइ हएँ औ जा निर्णयको स्वागत करन रानाथारु समुदायमे दियादिवारी करन अनुरोध करी हएँ । वि.सं. २०६९ जेठ १४ गते नेपाल सरकारके बार्ताटोली संयोजक टोप बहादुर रायमाझी औ रानाथारु संघर्ष समितिके संंयोजक प्यारेलाल राना लगायत रानाथारु अगुवासे भओ बार्तामे पहिलो बूंदा सुचिकरण को रहए । ऐसिए बखत बखतमे पहिचानको ज्ञापन पत्र सबए रानाथरुवा नेतृत्व, रानाथारु समाज सरकारके ध्यानाकर्षण करात आए रहएँ । रानाथारु समुदायमे अभेतकको सबसे बडो मुद्दा बनो रहए, रानाथारु समुदायमे सुचिकरण भोट बैंकके रुपमे रहो रहए, चुनावमे पहिलो एजेण्डाके रुपमे रानाथारुको सुचिकरण बतात आए अभेके प्रतिनीधी सभा सदस्य नारदमुनि रानाको सरकारको जा निर्णयसे एक बाचा पूरो भओ हए ।