अमर स्व. नन्दलाल राना
नन्दलाल रानाको जन्म वि.सं. २०११।४।११ गते कञ्चनपुर जिल्ला साविक देखतभुली गा.वि.स. वडा नं. ५ देखतभुली गावँमे भओ रहए । मृत्यु वि.सं.२०३७ जेठ महिनामे भओ रहए । उनको दादो सुखराम राना नतिया दौवा रामभरोसा राना ऐया रमोला देवी रानाके कोखसे पैदा भए रहएँ । १८ बर्षको उमेरमे बभनिया देवी राना सङ्ग अपनो सामाजिक संस्कारअनुसार व्यहा भओ रहए ।
दुई लौड़क दौवा नन्दलाल राना बहुतए निडर रहएँ । साधारण और संयुक्त परिवारमे जन्मे नन्दलाल रानाके पाँच ददाभैया रहएँ । सबसे बड़ो अपनए नन्दलाल राना, मझला हरिलाल राना, सँझला देवसिंह राना, खँझला राजेससिंह और छोटो अजबसिंह राना रहएँ । पाँचए कक्कु बाउ रहएँ सबसे बड़ो लबरु रानाथारु( मन्त्री) रामभरोसा राना, फुलचन्द राना, नरपतसिंह राना और अमर सिंह राना ।
शिक्षा
पहिले स्कुल कलेज नारहएँ बो हिसाबसे स्व. नन्दलाल राना खासए पढे लिखे नारहएँ पर बहुत भाषाके ज्ञानी रहएँ । अँग्रेजी, हिन्दी, चौधरी, पंजाबी, नेपाली और रानाथारु आदि भाषामे बात करलेत रहएँ ।
जाके सङ्गए जादु फिर बहुत जानत रहएँ । एक दाआँे सपेरा(बेनुवाँ) भिख मागन आओ तओ जादुमे बे दुईकि लडाइ हुइगइ । पहिले सपेरा जादु फुँकके मारए पर नन्दलालके कछु नाकर पाबए तओ पालो नन्दलालको आओ, जब बे जादुफुँकके मारिँ त सफेरक मुहमे बेन अटकाए दइँ और एकघरिमे कहाँसे भौँर बुलाए दइँ बे सपेरक काटन लागिँ फिर बो हात जोड़न लगो दादा रे तए जितो मए हारो ।
भतिजो देवसिंह राना काठमाडौंसे ल(बिध) पढके आए रहएँ । बे महेन्द्रनगरमे ल(बिध) फर्म खोले रहएँ । ल पढके आएभएनके फिर कानुनकि बात सिखात रहएँ स्व. नन्दलाल राना तहिकमारे प्रमाके रुपमे नपढोसे फिर लढो बहुत रहएँ ।
राजनीतिमे
राजनीतिमे खुलके नालागे रहएँ पर बाउ लबरु रानाथारु मन्त्री भए बेरा सबए काममे सघात रहएँ । राजनीतिमे खटन पटनसे लैके सबए काम देखत रहएँ । बाउ लबरु रानाथारु राजा महेन्द्रसे नजिक रहएँ कहेसे कक्कु अमरसिंह राना नेपाली कांगे्रस निकट रहएँ । पर नन्दलाल राना कोइ पार्टीको फिर सदस्यता नलइँ रहएँ । वि.सं.२०३६ सालमे निरदल बहुदलको चुनावमे बहुदलको पक्षधर रहएँ ।
विरोध
स्व. नन्दलाल राना सामन्ती वर्गके बहुत विरोध करत रहएँ । काम कारबाहिसे पता लगत रहए कि सुदुरपश्चिमके बे दुसरे कम्युनिष्ट रहएँ । पहिलो कम्युनिष्ट भिमदत्त पन्तके मानत हएँ कहेसे दुसरो कम्युनिष्ट स्व.नन्दलाल राना रहएँ काहेकि काम करके खानबाले वर्गके पक्षमे बे हमेसा खड़े रहएँ ।
औलो और मलेरियासे मुक्त तराइ क्षेत्रमे धिरे धिरे पहाडसे पहाडीनकि बस्ती माइग्रेट हूइके आन शुरु भइ रहए । पहाडमे सामन्त वर्गमे हुर्के और राज्यसत्तामे पहँुच भएके कारणसे तराइके थारुनके गिनतय कहाँ रहएँ । पहाडी रानाथारुनकि जग्गा जमिन तमान बहानामे लुटखसुट करन लगे । कोइ थारु उनके अग्गु नामसकपामएँ तओ स्व.नन्दलाल राना बेहि सामन्ती वर्गके तह लगान ताहिँ काम करत रहएँ । उनके दौड़ाए दौड़ाए भजात रहएँ ।
ऐसि कलुवापुर गावँमे जगदेव भट्ट नावँको एक जिम्दार रहए । बो के जयदेव सुब्बा नावँसे जानत रहएँ । बो झुलाघाट भन्सार कार्यालयमे सुब्बा रहए गावँमे बोकि रवाफ बहुत रहए सामन्ती प्रवृतिको रहए । बक अग्गु कोइ नामसकपात रहएँ तओ रानाथारुनके उपर अन्याय भओ कहिके स्व.नन्दलाल राना नादेख सिको और बो जयदेव सुब्बाके टिकटर दौड़ाएके भजबाइ रहए । जयदेव सुब्बाको कोइ बस नचलो अब का करनपड़ो कहिके आसपासके सामन्ती लोगनसे बात करि अब जक ठिक लगान पड़ो कहिके मौकाके तलासमे रहए ।
मृत्यु
निरदल बहुदलको चुनाव भरखर निभटो रहए चुनाबमे निरदलको विजय भओ । बेहे बेरा स्व.नन्दलाल देखतभुली गावँके सिरे बाँणीमे चौधरी थारु वन फँडानी करके बस्ती बैठत रहए । बिनके वनजाँच बहुत दुःख देमएँ बस्तीमे आगि लगाए जामएँ कबहि मुरगिचिँगनि उठाए लैजामएँ तओ बिनके साथ देनके ताहिँ स्व. नन्दलाल खड़ो भए ।
तबहि पुरानि दिक्क निकारन ताहिँ सब सामन्ती वर्ग एक हुइके स्व. नन्दलालके ज्यानसे मरबाए देनके प्लान रचिँ और वन फँडानीको झुठो मुद्दा लगाएके केस बन्द करबाए देनपड़ो कहिके प्लान बनाएके एक दिन सबेरे वनजाँच, चन्दरिया वनजाँच और …….. के अगुवाइमे पुलिस और वनजाँच आएके घर घेर लइँ घरमे बैयर इकल्लि रहएँ ।
बेहे बखत स्व. नन्दलाल दरपन देखके मोछ बनात रहएँ इकबरि चारौघेनसे पुलिस आएके घरभितरसे पकड़ लइँ घरमे ऐया और लहुरि दुई जनि महिला इकल्लि रहएँ छुड़ान पेति बिनकि छातीमे बन्दुकको कुन्दा लगामएँ, तहु फिर छुड़ानके बहुत कोसिस करिँ । पर बे महिला इकल्लि का करएँ छुड़ाए नापाइँ । स्व.नन्दलालके पकड़के लैजान लगे घरसे थोरि दुर लैजाएके मुड़मे उल्टा टकुला मारदइँ मारन पेति ऐया……को अवाज सुनन् पाइँ बादमे बक उइसि टँलगाएके लइगए ।
पच्छु शुक्लाफाँटासे हथिया मगाइँ और बिनके हथियाक पिठमे बाँधके बेहेक उपर बैठके महेन्द्रनगर लैगए, तमान देखनबाले प्रत्यक्ष दर्शी कहत रहएँ । बेहे बेरा बाउ लबरु रानाथारु भुमिसुधार मन्त्री रहएँ । तहु फिर मन्त्री अपनो परिवारको सदस्यके न्याय नादिबाएपाइँ । अस्पतालमे लैजाएके झुठको सहरा लैके वन फँडानी करनपेति हथिया मारदइ कहिके फाईल दबाए दइँ ।
लास जलानपेति देखिँ जिभ कटि और मर्दानि ( लिङ्ग) कटो रहए । गावँमे हल्ला फैलाए दइँ कि हथिया मैसे गिरके मरगओ और वन फँडानीको अरोपमे सरकार पकडके लैजानपेति हाथिया मैसे कुदके भाजनबेरा गरिके मरिगौ बताइ । ऐसि करके एक साधारण व्यक्तिके मारके समग्र थरूवनके दबानके निहुमे स्व. नन्दलाल रानाको मृत्यु वि.सं. २०३७ साल जेठ महिनामे भओ रहए ।
सालिक
वि.सं. २०४० सालमे श्री नन्दलाल माध्यमिक विद्यालय स्व. नन्दलाल रानाको नावँसे खुलि हए । पर वि.सं. २०६५ सालमे आएके सार्वजनिक ठाउँके व्यक्तिक नावँसे काहे जोडन पड़ो कहिके विरोध उठो रहए । अन्तमे श्री नन्द माध्यमिक विद्यालयके नावँमे सहमति भइ । राना थारु जातके नावँमे इत्नो बड़ो राजनीति चलाएके हेपि रहएँ तहु फिर थरुवा ददाभैया देखतए रहिगए ।
बेहेके कारणसे आज बाँणी गावँमे बैठन पाइँ आज बेहेक नावँमे इत्नो बड़ो राजनीति, बोके बदलामे स्व. नन्दलालके परिवारबाले का पाइँ ? वडा अध्यक्ष डम्मर विष्ट एक दाआँे घरपरिवारके लोग स्व. नन्दलालकि सालिक धरन कि बात कहिँ पर सालिक धरन ताहिँ जग्गा दानमे देन पड़ो कहि तओ घरके आदमि कहिँ जहे सारि जग्गक ताहिँ अपन ज्यानकि अहुति तक दइदैँ तहँु एक सालिक धरन ताहिँ जग्गा नाहए बताइँ । तुमहर अपनो हुइतो तओ चौराहामे बड़Þी सालिक बनबाए लेते कहिँ परिवारके आदमि ।
ब्यक्तिगत जिवन
छोटोसे स्व. नन्दलाल राना बहुत चलाँक और चलफराँक रहएँ । हिम्मत कि त दातदेन रहएँ कोइसे नडरात रहए । अपन जिन्दगीमे पैसा त नाकमापानइँ पर अपनाके करोरी मल्ल नन्दलाल राना कहिके अपन परिचय देत रहएँ । तिखि बद्विके न्याय नापानबाले गरिबके पक्षमे मसकन बाले निडर व्यक्ति रहएँ । बक डरसे बड़ेबड़े जिम्दार थरथर काँपत रहएँ और आज बेह कारणसे बाणी गावँ बैठो गओ हए । जा जिवनी सबेराे अर्धबार्षिक पत्रिका अंक एकसे लएगअाे हए ।