रानाथारु सामुदायमे होरीक रौनक

५ चैत्र २०७८, शनिबार
रानाथारु सामुदायमे होरीक रौनक

रानाथारु सामुदायमे होरी तिउहार मनानको अलग बिशेषता हए । होरी पर्वको अपनो ऐतिहाँस , धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष हए । हिन्दु धर्मकी पुराणमे ब्यख्या करो कथा बस्तु अनुसार असत्य तथा अत्याचार उपर सत्य और इमान्दारिताको जितके प्रतिकको रुपमे जा पर्वके लेतहएँ ।

कञ्चनपुर देखतभुलि गाँवकी हाेरी , टिका लगान शुरूवत


खासाकरे भगवान विष्णक भक्त पैहिलाद अपन दौवा हिरण्यकश्यपकी घमण्ड तोडनको प्रसंग और पैहलादकी फुवा होलीका भगवान ब्रम्हासे आगीमे नजरनको बरदानके गलत ठाउँमे प्रयोग करनको कारण होलीका आगीमे जरके भष्म भइ और पैहलाद जैसीकतैसी ( सकुशल निकरो घटनासे होली तिउहारको चलत आओ हए । रानाथारु समुदाय फिर हिन्दु धर्मको अनुयायी होनके कारण जा सामुदायमे फिर जियकी उत्सबके रुपमे होरी तिउहार मनात आएरहे हएँ । रानाथारु सामुदायमे एक महिना आठ दिनतक होरी पर्व मनात हएँ बताइ कञ्चनपुर लालझाडी गाउपालिका वडा नं. ४ के माेढी गुलाबी राना।

कञ्चनपुर देखतभुलि गाँवकी सादाहाेरी


एेसी करके शिक्षक लक्षबिरा राना कहि माघ महिनाक पुर्णमासिके दिनसे शुरु हुइके जिन्दा होरी रातमे खेलत हएँ और फागुन पुर्णमासीके दिन होलीकाके दहन करत हए दुसरे दिनसे आठ दिन तक दिनमे होरी खेलत हए । और अठौँ दिनमे सबेरे गाउभरेक आदमी अपन गाँवको खेरो फाँदएके खख्डेहरा फोरत हए और होरीके जहाँसे आइ हुनै पठाआत हए और बहे दिनसे होरी खेलन नखेलत हए पर होरीको मौसम होनको कारणसे गाउमे होरी खीलानबारे बहुत होत हए पालो नापाएके २।३ दिन और खेलसकत हएँ । ऐसीकरके होरी तिउहार रानाथारु सामुदायमे मनात आएहएँ ।
अाैर कहि होरी पर्व रानाथारु सामुदायको सबसे पडो तिउहारके रुपमे मनात हएँ ।जा तिउहारमे जिजा अपन सालीके , मित अपन सैनारके फगुवा देनको चलन हए ।

कञ्चनपुर देखतभुलि गाँवकी हाेरी


शिक्षक बासमति रानाक कहाइ अनुसार माघ महिनक पुर्णमासिके दिन होरीमे गाँव भरसे उठाउभौ भेट – चामर, तेल , अगर बत्ती , फुल ) के पधना या भलमन्साके घरमे पुरी पकाएके लैजात हए , एक महिनाभर होरी धरत हए । होरीमे कन्डा लाहीको टिटारो इकट्ठा करके होरीक पुतला बनात हए । एक महिना पच्छु फागुपुर्णिमाके दिन फिरके गाँव भरसे उठाउभौ भेट – चामर, तेल , अगर बत्ती , फुल ) के पधना या भलमन्साके घरमे पुरी पकाएके लैजात हए होरीक झुका – पुतला ) के पाँच फेरा लगायके होरीमे आगी लगात हए तौ जाइके पच्छुसे सब गाँवके लोग आगी लगातहएँ । होरीमे लागनपती बहुत रौनक होत हए । होरीमे आगि लागान गाउभरके आदमी जुटत हए और सब मिलके होरीक दहन करत हए ।

कञ्चनपुर देखतभुलि गाँवकी हाेरी


दुसरे दिन साँझके सब जनी चामर या गेहुक बाली डारके जरी भइ होरीक राखको टिका लगात हएँ । और गित गात हएँ “आज होरी गइ रे बलामुपरदेश ” बताइ । ऐसीकरके पधना , भलमन्सा, चाकर , पालोपालीसे सबके घर होरी खेलत हए ।

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