लेखक :अनिता राना
धनगढी ,२० भादाै ।
 गुञ्ज मोसे दुर कभी मत हुइँयो ।
  और जब मिर याद आवए तओ बुलाइयो ।।
  तुम मिर आँखीकी तस्वीर हओ । 
 और तुमही मिर जिंदगीकी गीत हओ ।। 
 मएँ जब रुठ जाओ तओ मोके मनाइयो । 
 और अपनी प्रितिकी गीत सुनइयो ।।
  आपनकी प्रिति देखके दुनियाँ हँस्त हए । 
 पतानए कितनो गुञ्ज आपनके देखके मरत हएँ ।।
  दुनियाँकी बात लइके मोके मत भुलादियो । 
 आपन कसम खाए हए बआ बचा निभादिओ ।। 
 आपनकी प्रिति देखके दिनियाँ ठक्रात ठुकरानदेओ । 
 अपनी मर्जिसे प्रिति जोडे हएँ तओ बदा निभानदेओ ।। 
 जब तुमे कछु होत हए तओ मिर दिल रोतहए ।
 और जब तुमे कछु मिलत हँस्त तओ मोके खुशिहोत हए ।। 
 गुञ्ज नरहाइगे तुम न मएँ , रहाइगी आपनी प्रिति ।
 चलो इतिहासमे लिख देमएँ सारी प्रितिकी रीति ।।