कमल सिंह राना( नेपाल रानाथारू समाज केन्द्रिय उपाध्यक्ष)

धनगढी,३० कातिक ।

रानाथारुको पहिलो राष्ट्रिय जनगणना २०७८ काहे महत्वपुर्ण हए?

दशकौ से अपन पहिचान और अधिकारके ताहि लडत आओ रानाथारु समुदाय बि.स. २०७६ सालमे नेपाल सरकारसे अपन अलग आदिबासी जनजातीमे सुचिकृत होनके साथए पहिचान स्थापित करन सफल भओ हए। और अपन भाषा फिर पहिचान करान सफल भओ हए। रानाथारु समुदायके ताहि जे ऐतिहासिक उपलब्धी हएँ। जहेके टेकके हमके थप हक अधिकार प्राप्ति करन हए। सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक तथा राजनैतिक रुपमे आगु बढन हए। राज्यकि मुल प्रवाहमे आनके ताहि हमए अपन भाषिक, सांस्कृतिक लगायत आरक्षणको हकके ताही अग्रसर होन जरुरी हए।

जाके ताहि रानाथारुको जनसंख्याको जनगणना होन बहुत जरुरी रहए। अधिकार प्राप्तिके ताहि जनसंख्याको ठोस आधार जनगणना हए। राष्ट्रिय जनगणना २०६८ मे हम रानाथारु छुटिगए। पर अब होन जाए रहो राष्ट्रिय जनगणना २०७८ मे हमर जाति और भाषाको अलग्गए जनगणनाके ताहि केन्द्रिय तथ्यांक विभागसे निर्णय करबान हम सफल भए हएँ। रानाथारु जातिको कोड 126 निर्धारण समेत हुइ गओ हए। जा रानाथारुको इतिहासमे पहिलो जनगणना हए। जा रानाथारुको अधिकार प्राप्तिके ताही एक मजबुत सिढीको काम करैगो। तबही जाके एक बहुत बडो मौका और चुनौतीके रुपमे लेन जरुरी हए। जनगणनामे त्रुटीरहित तरिकासे एक जनि फिर ना छुटन हिसाबसे हमए जा जनगणनाके सम्पन्न करन हए। जा रानाथारुको भाग्य और भविष्यसे जुडो हए। जा अभियानमे समाजके अगुवा, भलमन्सा, जनप्रतिनिधी, शिक्षक, बिधार्थी, युवा, संचारकर्मी लगायत आम जनमानसके एकदमए ध्यान देन जरुरी हए।

राष्ट्रिय जनगणनाको संक्षिप्त जानकारी

जनगणना कहोको देश भितर बैठनबारे सबए मनइको निश्चित अवधिमे निश्चित विधि अपनाएके गणना करनिया प्रक्रिया हए। जनगणना हमर देशमे हर १० वर्षमे एक दाँव करो जात हए। नेपालमे जनगणना लेनिया काम वि. सं. १९६८ (१०९ वर्ष पहिले) चन्द्रशम्सेर प्रधानमन्त्री भओ पालामे सुरु भओ रहए। अभेतक नेपालमे ११ जनगणना सम्पन्न हुइ गए हएँ। जा १२औँ जनगणना अब होन जाए रहो हए। विभिन्न जाति, भाषा, धर्म, क्षेत्र, वर्ग, लिङ्ग,पेशा, उमेर, अपाङ्गता और यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समूहके समग्रमे हम कितका हएँ ? कहाँ हएँ ? और कौन अवस्थामे हएँ? जे विषयमे जाननो जनगणनाको प्रमुख उद्देश्य हए। जे विवरणके आधारमे राज्य आम नागरिकनके हितके ताँही अब का करन पडैगो? कब करन पडैगो? और कैसे करन पडैगो?  जहेक आधारमे राज्य नीति, योजना और कार्यक्रम बनात हए। जनसंख्याको आकार-प्रकार, संरचना और विशेषता पता होनसे इकल्लो लक्षित समूहको हित होन हिसाबसे राज्य सही नीति और योजना तथा कार्यक्रम बनाए सकत हए। उदाहरणके ताँही सुदुर पश्चिम प्रदेशमे रानाथारुको जनसंख्या लगायत सामाजिक, आर्थिक बिबरण आनसे बहे बमोजिम संघ, प्रदेश और स्थानीय तहमे रानाथारुको हितके ताही का करन आवश्यक हुइ हए यकिन होबैगो और रानाथारुके अपन हक अधिकार मागन सहज होबैगो।   जनगणनासे निकरो तथ्यांककि प्रयोग खास करके निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण करन, प्रतिनिधि सभा तथा प्रदेश सभाको सदस्य संख्या एकिन करन , राज्यके तह तप्कनमे विभिन्न जाति, भाषा, धर्म, क्षेत्र, वर्ग, लिङ्ग, अपाङ्गता, पिछडा क्षेत्र तथा समुदाय, लैंगिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक व्यक्तिनको  समानुपातिक प्रतिनिधित्वको सुनिश्चितता करन, केन्द्र सरकारसे प्रदेश सरकार और स्थानीयतहमे श्रोत परिचलान करन लगायत स्थानीय तह तकके योजना तर्जुमा करन काम लगत हए।

अइसि करके जनगणनाको तथ्यांक जनसंख्याके बारेमे अध्ययन करन, बाको सामाजिक-आर्थिक अवस्था पता पान, राष्ट्रिय कृषि गणना लगायत अन्य सर्वेक्षणनके ताही नमूना छनौट करन लगायत राष्ट्रिय तथा अन्तर्राष्ट्रिय विकासके लक्ष्यनके मापन करन और सामाजिक/आर्थिक सूचक पता लगान जा प्रयोग करो जात हए।

बिगतमे रानाथारुको जनगणनाको अवस्था

अभे होन जाए रहो राष्ट्रिय जनगणना २०७८ रानाथारुको पहिलो जनगणना हए। जासे आगु रानाथारुको संख्या थारुमे जुडत रहए। बि.स. २०४८, २०५८, २०६८ को जनगणनामे समग्र थारुको जनसंख्या क्रमशः एघार लाख चौरानब्बे हजार दुइ सय चौबिस (११,९४,२२४), पन्ध्र लाख तेत्तिस हजार आठ सय उनासी (१५,३३,८७९) और सत्र लाख सैतिस हजार चार सय सत्तरी (१७,३७,४७०) रहए। अइसि बि.स. २०४८, २०५८, २०६८ को जनगणनामे समग्र थारुभाषीको जनसंख्या क्रमशः नौ लाख तिरानब्बे हजार तिन सय अठासी(९,९३,३८८), तेह्र लाख एकाउन्न हजार पाँच सय छयालिस (१३,५१,५४६) और पन्द्र लाख उनन्तिस हजार आठ सय पचहत्तर (१५,२९,८७५) रहए।  रानाथारुको अलग्गए जनसंख्याकि तथ्यांक ना होनके कारण रानाथारुको हकअधिकारके ताही संबोधन करन समस्या भओ हए।

रानाथारु जनगणनाको पहलकदमी

निकट भविष्यमे रानाथारुके अधिकार सम्पन्न बनान सबसे बडो भुमिका जा राष्ट्रिय जनगणना २०७८ को होबैगो । अभेतक थारुके भितर रानाथारुको जनगणना होत आओ रहए। रानाथारुको अभेतक अलग्गए जनगणना ना भओ रहए। रानाथारुको अलग्गए जनगणनाको निर्णय करान इतनो सजिलो ना रहए, रानाथारु जातिको बि.स. २०७६ माघ २० गते अलग्गए सुचिकरण होनसे बिबिध पहिचान बिरोधी स्वार्थ समुहनको बहुत चित्त दुखाइ फिर बनो, तबही रानाथारुके हकअधिकारके रोकन बिभिन्न चौतर्फी आक्रमण होन फिर सुरु भओ। रानाथारुको मुद्दा सुचिकरण से आगु ना पुगए कहिके बेढम आदमी षडयन्त्रमे लागे रहे।  जाके बाबजुत नेपाल रानाथारु समाज, केन्द्रिय कार्य समिति और खास करके प्रतिनिधी सभा सदस्य तथा पुर्ब वन तथा वातावरण मन्त्री नारद मुनी रानाको जोड बलमे उनके लेटर प्याड मार्फत राष्ट्रिय योजना आयोगमे मिति २०७७।०१।२९ मे जनगणनाको माग बमोजिम राष्ट्रिय योजना आयोगके उपाध्यक्ष डा.पुष्प राज कडेल मार्फत निर्णय हुइके तथ्यांक विभागमे माननीयज्युसे जोडदार पहल पश्चात तथ्यांक विभागमे ‘रानाथारु’ को अलग्गए जनगणना होन निर्णय भओ। अइसे जनगणना सम्बन्धी रानाथारु जातीको अलग्गए कोड ‘१२६’ निर्धारण करनमे सफलता मिलो।

रानाथारु भाषाको जनगणना

मिति २०७६ कातिक १८ गते भाषा आयोगको तिसरो वार्षिक प्रतिबेदनसे रानाथारु भाषाको पहिचान भओ रहए , जाके आधारमे जहे राष्ट्रिय जनगणना २०७८ से रानाथारु भाषाको सुचिकरण होबैगो। रानाथारु जातिको कोड १२६ हए। पर भाषाको कोड तथ्यांक बिभागसे काहे ना आओ विषयमे तमान जिज्ञासा आए हएँ। बिभागसे भओ छलफल बमोजिम जनगणनाको मुख्य प्रश्नावलीमे भाषाके जगहामे रानाथारु लिखान सुझाव हए, पाछु रानाथारु भाषी कितका संख्या हुइ हए गणना हिइके रानाथारु भाषाको कोड उपलब्ध होबैगो और जासे आधिकारिक रुपमे रानाथारु भाषाको सुचिकरण समेत मानो जाबैगो।  

रानाथारु जाति और रानाथारुवा थर

गजबनके लग सकत हए जात और थर एकए हएँ। पर जे फरक फरक शब्द और इनको फरक अर्थ हएँ। जात कहोको नेपालमे ११ औ राष्ट्रिय जनगणना २०६८ अनुसार १२५ जातजाती बसोबास रहए। अइसि नेपाल सरकारको बि.स. २०७६ को निर्णय अनुसार रानाथारु जाति थपके अब अभेतक नेपालमे १२६ जातिको संख्या हए। पर थरको संख्या अभेतक नेपालमे कितका हए यकिन ना हए। हरेक समुदायमे अपन तमान थर हए। बाह्रमण ,क्षेत्री, कामी ,दमाई,नेवार, मगर, थारु, रानाथारु आदी जात हए कहेसे खनाल ,कोइराला, श्रेष्ठ, चौधरी , डगौरा, राना, बडायक, वि.क ,परियार ,थापा ,कार्की,मणडल, दास आदी थर हए। अइसी करके हमर रानाथारु जाति हए और रानाथारु समुदायमे तमान थर हएँ। अभे तकको साधारण जानकारी अनुसार रानाथारुमे ठाकुर, बठ्ठा,बडबइका,बडायक,रानकुन्‍ठि,रावत,बिसेना,महतव,गिरनामा,विरतिया,बुक्‍सा,खुन्‍का,रजिया,सन्‍सा,जुगिया,दहित,कुसमी, गढौरा,महात्मा, राव, धंगरा,गिरी,पसिया, सौसा लगायत २४ थर हएँ। तबही जनगणनामे थर से फिर जाधा महत्व जातीको होन बजहसे जातिके जगहामे ‘रानाथारु’ लिखान जरुरी हए।

जनगणनामे ध्यान देनिया विषय

जहे कातिक २५ गते से अगहन ९ गते तक (१५ दिन) तथ्यांक संकलन करन तथ्यांक विभागसे खटाए भए गणक लोग घर घर मे आन डटे हएँ।तथ्यांक बिभागसे तिन प्रश्नावली तयार भै हएँ, मुख्य प्रश्नावली, सामुदायिक प्रश्नावली, घर तथा घरपरिवार लगत सूचिकरण। जिन मैसे खास करके घर घरमे आन बालो मुख्य प्रश्नावली हए। तबही बिशेष करके गणक लोगनके मुख्य प्रश्नावलीको ब्यक्तिगत खण्डको जनसांख्यिकी बिवरणके महत्वपुर्ण प्रश्न नं. ७,८,९ के विशेष ध्यान दैके निम्न बमोजिम ब्यहोरा (प्रश्नको उत्तर) लिखान/लिखबान मे बिशेष ध्यान देन जरुरी हए। मुख्य प्रश्नावलीको महत्वपुर्ण प्रश्न और उत्तरको अंश तरे दओ बमोजिम लिखान जरुरी हए।

प्र.जात/जाति के हो? (जात का हए?)

उत्तररानाथारु

प्र.पुर्खाको भाषा कुन हो? (पुर्खनको भाषा का हए?)

उत्तररानाथारु

प्र.मातृ भाषा कुन हो? (मातृ भाषा का हए?)

उत्तररानाथारु

मातृभाषा(पहिलो), दुसरो भाषा और पुर्खाको भाषा का हएँ?

बालक जनमके अर्थात जलमतको बोलन सिखो पहिलो भाषाके सामान्य रूपमे मातृभाषा कहत हएँ । पहिलो भाषा कहोको घरमे मसकनिया और बालककालमे देखबाल करन बारे अइया दउवा वा परिबार मार्फत बालकसे सिखो भाषा हए । सबसे पहिले बालकसे सिखो भाषा बाको पहिलो अर्थात मातृभाषा हए । अइसी पहिलो भाषा (मातृभाषा) सिखके शिक्षा दिक्षा आर्जन वा अन्य उद्देश्य वा दैनिक जिबन पुरा करन मनइ दुसरो भाषा सिखत हए। अर्थात मातृभाषा पाछु कौनसो भाषा जाधा प्रयोग करो जात हए बो दुसरो भाषा कहलात हए। अइसे सिखनिया भाषाके दोस्रो भाषा कहत हएँ । अइसी पुर्खाको भाषा कहोको जातिभाषिक समुदायको परम्परागत वा ऐतिहासिक भाषा हए । सम्बन्धित समुदायके पुर्खा जौन भाषा मसकत रहएँ बो बिनको पुर्खाको भाषा होत हए। अतः रानाथारु समुदायको मातृभाषा और पुर्खाको भाषा रानाथारु हए।

रानाथारु समुदायमे सुझाव

रानाथारुको जनगणनामे त्रुटि नाहोन और रानाथारु कोइ फिर नछुटन हिसाबसे जनगणना सम्पन्न होन जरुरी हए। जाके ताही प्रचार सामग्री सहित ब्यापक प्रचार प्रसार, गोष्ठी सहित अगुवा, भलमन्सा, क्लब, संस्था सबएके साथमे लइके अभियानके रुपमे संचालन करन जरुरी हए। रानाथारु समुदाय जनगणनाके सफलता पुर्बक सम्पन्न करन जे काम करन अति आवश्यक हएँ।

  • रानाथारु समुदाय एकजुट हुइके ब्यापक रुपमे जनचेतना अभियानमे जुटन जरुरी हए।
  • जा विषयके सशक्त बनान अगुवा तथा भलमन्सा भेला, सम्मेलन, गोष्ठी करन जरुरी हए।
  • सबएके जनगणनाको मुख्य प्रश्नावलीको ब्यक्तिगत खण्डको जात/जाती के हो? कहनिया प्रश्नमे ‘रानाथारु’ लिखान हए। और सकभर रानाथारु जातीको कोड १२६ के समेत ध्यान देन हए। ‘राना’ इकल्लो लिखानसे फिर समस्या हए। अइसी जनगणनामे जातिको गणना होनके कारण थरमे जाधा ना उलझके रानाथारु लिखान जरुरी हए।
  • गणकको पेन्सिलसे लिखो स्विकार ना करन हए, गणकसे निलो कलमसे लिखान जरुरी हए।
  • गणक लोग कातिक २५ गते से अगहन ९ गते तक घर घरमे आए कि नाआए? निरिक्षण करन हए। कोइके घरमे ना आए हएँ तओ सम्बन्धित निकायमे जानकारी वा उजुरी करन जरुरि हए।
  • गणक लोगके मुहजवानी उत्तर देन हए, बिनके कोइ नागरिकता जैसे प्रमाण दिखान जरुरी ना हए, कोइ गणक नागरिकता देखन ना मागैगो, तबही नागरिकता वा और कोइ सरकारी कागजमे कछु फिर (राना, राव, ठाकुर, बडायक) लिखो होबए, बासे मतलब ना करके गणकके अपन जाति और भाषा मे ‘रानाथारु’ लिखान हए, काहेकि सरकार आपनको समुदायके रानाथारु कहिके चिननको निर्णय करि हए अर्थात रानाथारु नावँसे सुचिकरण करि हए।
  • हरेक गणकके पाछु पर्यबेक्षक पठान जरुरी हए।
  • गावँ गावँमे ब्यापक रुपमे जनचेतना मुलक कार्यक्रम सहित जनगणना अभियान संचालन करन हए।

अन्तमे, रानाथारु समुदाय अपन सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक तथा भाषिक हकअधिकारके ताही निरन्तर आन्दोलनरत हए, भाषा आयोगसे रानाथारु भाषाके उपर भओ अन्यायके सुधारन बिबिध तवरसे कोशिस जारी हए, प्रदेश सरकारमे आरक्षणको माग जारी हए, जाके ठोस निश्कर्षमे पुगान जा जनगणना बहुत महत्वपुर्ण होनके कारण जाके सफलतापुर्बक सम्पन्न करन सबएको ध्यान जान जरुरी हए।

(लेखक नेपाल रानाथारु समाजको केन्द्रिय उपाध्यक्ष तथा रानाथारु भाषाबिद् हएँ, बे भौतिक विज्ञान, राजनिति शास्त्र और सार्बजनिक प्रशासन करके तिन बिधामे स्नातोकोत्तर डिग्री हासिल करे हएँ।)