संपादक नन्दलाल राना
कैलाली । रानाथारु समुदाय मे सामन सुशलपक्ष अर्थात सामनकि उजियारीको तृतिय तिथि के दिन तिज तिउहार मनातहए । सामन महिनाकि अँधियारसे गाँव गाँव मे डोला डारन शुरू करत हएँ । परम्परागत पोसाकमे सजके रानाथारू समुदायकि महिला डोला डोलके सामन महिनामे गानबाली परम्परागत लोक गीत गात हए । खेतीपती सब निभटएके फुरसदसे व्याहि लौडिया तीज को तिउहार मनान अपन माइको जातहए ।
आज कैलाली, कञ्चनपुर और पडाेसी देश भारत लगायत रानाथारू बस्तीमे तिजको रौनक हए । तीज पर्वके अवसरमे कैलाली और कञ्चनपुर की तमान पालिका मे धनगढी उपमहानगर पालिका, पुनर्वास नगर पालिका, कृष्णपुर नगर पालिका, लालझाडी गाउपालिका औ बेलडाँडी गाउपालिका आजके दिन श्रावजनीक विदा दइ हए ।
जा तिउहार एक पाख भर डोला डोलके मनातहएँ । डोला डारनमे सब जनि सहयोग करत हएँ । भाइया बहिनिया मिलके जंगलसे बाइब काटके लातहए । बोके बटके मोटोसो बरहा बनात हए । बहे बरहा डारके डोला डारत हएँ । जा तिउहार भाइयाबहिनियाँ बीचको आत्मीयता बहुत प्रगाढ बनात हए संकटसे मुक्ति पान महिला ददा,भइयाभतिजोक जीवनरक्षा, दीर्घायु, सुख और समृद्धिक ताँहि व्रत बैठत हए ।
सामन महिनाक उजियारिक तृतीयाक दिन तिजको मुख्य दिन मानत हए । जा दिन दिदीबहिनीयाँ निराहार व्रत बैठत हए । व्रत बैठी दिदीबहिनीयँ साँझके ब्रत खोलन ताँहि दिनभर सिमही, गुलगुला, पुरी, कतरालगायत परम्परागत परिकार पकात हए । ब्रत बैठी महिला साँझ होनलागत हए अगवन्नि बेरासे तव नदीय, ताल, पोखरी के किनारे जाइके झुडकि पुहात हए । गडरौदाँ जातको घाँस या कुसमे ब्याहि महिला सात औ बिन व्याहि लैडिया पाँच गाँठी बाँधत हए औ बुक पूजा करत हए । पूजा निभटएके चाँदीक गहना वा सिक्कासे बुक काटत हए और प्रसादके रूपमे सब परिकार धरके नदीयामे पुहात हए ।
पोहान पेती दिदीबहिनीय अपन भइयाभतिजोक धन सम्पत्ति प्रगति और दीर्घायुको कामना करत हए । और कहत हए कि जैसी जैसी नदिय की धार बढए वीसि मिर भइया भतिजोनकि उमर बढए कहिके कामना करत हए । और जब बर्त खोलके घर लउटन पेती भइयाभतिजो दिदीबहिनीयनके डगरमे पटाकि बेढके डगर गाँसत हए उनसे पुर सिमहि ( प्रसाद) मागत हए ।
सावनको डाेलामे प्रयाेग भव बह्रा और पटाकी के तीजके दिन पाेहात हएँ । महिला दिदीवहीनीया सावनकाे डाेलामे प्रयाेग भव बह्राक मुडिया काटके लैजात हए मुडियाक पुजापाठ करके सव महिला मिलके पुहात हए और लाैडाै अपन पटाकी की मुडिया काटके पुजापाठ करके सव जनि मिलके नदियामे पुहात हए । मन्यता हए कि अगर वह्रा और पटाकी की मुडिया काटके नपुहात हए त वहे साँप बनके डसत हए कहिके जनविश्वास हए ।
तिजको तिउहार माननको पाैराणीक कहानी के अनुसार ?
पोराणीक कथा के अनुसार बहुत पहिले परापूर्वकालमे बेहमैया नावकि दिउतिन बुढिया रहए । दिउतिन बुढियक भइयाभतिजो कोइ नबचत रहए । तव दिउतिन बिढिया अपन भइया भतिजोक लम्बि उमरके ताँहि तिजको व्रत बैठी रहए । तवहिसे ज तीज तिउहारको सुरुवात भव हए कहिके मन्यता हए । नदिया किनारे बैठी बेहमैया गडरौदा जातको घाँसमे गुडियक गाँठी बाँधके पोहावय तव कवही पुहिजाबय और कवही नपुहए ।
जव पुहिजावय तव बो खुवय हँसय और जव बो नपुहए तव बो वैठके रोन लागय जा बात गैरा–पार्वती मृतलोकमे घुमन निकरे रहए तव बे बडोध्यानसे देखत रहे । तव बे गैरा पार्वति ढिगै जाइके बेहमैयासे रोनको और हँसनको कारण पुछि । तब बेहमैया कहि की मय जउनक नावसे गाँठि बाँधक पुहात हौ त पुहिजात हए बो अपन उमर भर बचैगो और जैनक नवकि गाँठी बाँधके पोहत हौ तब बो नपुहत हए , बो अपन उमर भर नबचपाबैगो तहि मय कभि रोत है और कभि हँस्त हौ।
अपन भइयाभतिजोक बचान ताँहि अब मय का कराैँ तब गैरापार्वति भइयाभतजोके बचान ताँहि व्रत बैठन और दीर्घायु कामना करन गडरौदामे गाँठी बाँधके नदीयमे पोहन कहि तवहिसे व्रत बैठन चलन सुरु भव कहत हए । एेसि करके रानाथारू समुदायमे तिज तिउहार मनात हए ।
अन्य समुदायमे श्रीमानकी दीर्घायुको कामना करन ताँहि तिज व्रत बैठन चलन हए कहेसे जा समुदायमे भइयाभतिजोको दीर्घायुको कामना करके संस्कृति मानत अए हए ।
एक और कहनी कहत हए ‘परापूर्वकालमे तराइमे बहुत मेलकी काइली, हैजा लगायत विमारीसे गावको गाव नास हुइजात रहए । समुदायमे दुःख बिमार पडके पुरुषनको मृत्यु होनलागो तब जा संकटसे बचन ताँहि महिला भइयाभतिजोको जीवनरक्षा, दीर्घायु, सुख और समृद्धिक कामना करन व्रत बैठत अइरहि कहिके जनविश्वास हए ।
एक और कहानी अनुसार ः तीज पर्व सावन महिनाक शुक्ल पक्षकी तृतीयक दिन मनान बालो से कहत हएँ । तीज पर्व खासकरके महिला दिदीवहिनीयाँ मनात हए । सावन महिना हरियालिको महिना हए चारौतरफ हरियाली चादर साे विछाे जैसो दिखात हए । प्रकृतिक को ऐसो मनोरम नजारा को अन्दलेत लेख महिला दिदीबहीनीयाँ सावनको डोला डोलत झुका मारत लोक, मंगलीक गित गातय जा उत्सव मनात हए ।
सुहागन महिलाके ताँहि जा तीज पर्व वहुत महत्व धरत हए । काहे की सौँदर्य और प्रेमको जा उत्सवमे भगवान शिव और माता पार्वतीक पुनर्मिलन के उपलक्ष्यमे मनात हए । पौराणिक मान्यताके अनुसार माता पार्वती भगवान शिवके पतिके रुपमे पानके ताँहि कठोर तपस्या करि । कठोर तपस्यासे १०८औ जन्म पच्छु माता पार्वती भगवान शिवके पतिके रुपमे पाइ कहिके मन्यता हए ।
तवहिसे भगवान शिव और माता पार्वती जा सावन महिना सुहागनके ताँहि शौभाग्यक वरदानके रुपमे मानत हए । सावन महिनामे मनानबालो तीज पर्वमे भगवान र माता पार्वतीकी पुजा और व्रत करन से विवाहित महिला सौभग्यवती रहतहए और घरपरिवारमे सुख,समृद्घि होतहए कहिके मान्यता हए ।