अपनाे भाषा सबके प्याराे लागत

२३ पुष २०७६, बुधबार
अपनाे भाषा सबके प्याराे लागत

भक्तराज राना

कछु मिर सौख,  कछु जरुरीके कारण मए कैलाली और कंचनपुर जिल्लाके तमान गाउँ के सरकारी स्कुल मे घुम घाम करो हओं । जहे घुमाइमे मए एक दर्जन से जाधा स्कुल देखो जहाँ ८० से लैके ९० प्रतिशात रानाथारु समुदायके पढिया बच्चा मिले । ऐसि बीस स्कुलमे रानाथारु और गैर रानाथारु पढिया अधि–अघा मिले ।

अभियन्ता : भक्तराज राना

मए स्कुलके हेडमास्टरसे कक्षा एक कि कोनो भितर जान आज्ञा लओ । जब मए बो कक्षाके भितर जान तयार रहओं मए रानाथारु भाषाको अवाज सुनो  मोके लागो बो कक्षामे आज मेडम और सर कोइ नैयाँ, बच्चा किताब पढन छोडके हल्ला कर रहे हएँ । मए जैसी कक्षा भितर घुसन करो तबहि एक अवाज आओ ”पढ डारे ?“ मए पच्छु ओहोरो और देखो एडमके । मए नमस्कार करतए मेडमके अप्नो परिचए दओ । ”राम राम सर“ ।

मए राम राम लौ पर उतनो खुलके नाए । बे मेडम अपन परिचए दैं । मेडम राना जात कि रहएँ । मए कुछ देरल सोचो तभै बो कोठाम राना भासाक अवाज आत रहए । मए फिर  बे मेडम से अनुमती लओ भितर जानके । मेडम हँसतए मोके

कोठा भितर जान अनुमती दैँ । जैसी मए फाटकसे भित्र घुसो सबए बच्चा उठे औ पहिले राम राम औ दुबारा Good morning कहि, मए कहो ”राम राम !“ मिर बारेमे मेडम बतकाइँ औ सुरु करि तौ सबए पढिया बच्चा अपनि किताब बन्द करके  झोराके उपर धरलैं। मिर नजर बो किताब मे पडि । किताबक खोलमे लिखोरहए“ रानाथारु भासा क किताब कक्षा १ कि अभ्यास पुस्तिका । मए एक बच्चक किताब उठाओ, किताबक अग्गु औ पच्छु देखो दोनो घेन रानाथारु भासा मे लिखो रहए । मए बिचक पन्ना लौटो देखो एक कथा । कथा रहए ”दुलारी “ ।

मए सोचो ओहो ज किताब कब्से पढान लगे । उत्तर मिलो ”जहे साल से“ मेडम मोके और जान कारी दैं ”जा रानाथारु भासाकी किताब कैलाली और कंचनपुर के सत्ताइस स्कुलमे पढाइ होत हए ।“ मिर मन खुसी भौ । मए और जाके बारेमे जानकारी लेन लगो । मेडम जानकारी देनमे कोइ कमि नाए करिं । मए और जानन इच्छा करन लगो बे जा किताबक लेखक के बारेमे जानकारी दैं । मिर मन हरो हुइगओ । काहेन हुइहए अप्नो त अपनु होत हए ।

मए मेडम से अनुमती लओ और अपन जानकारी पढियन से लेन देन करन लगो । मए पांच वर्ष कि एक लौडिया के अपन घेन बुलाओ । बो तुरुन्तय मिर ठिन आइ । बाके मए पुछन लगो  ”तिर नावँ का हए ?“

”जमुना ।“  कित्तो अच्छो नावँ  । फिर मए पुछो बाको जबाफ फटाफट आए पचकडिया,  ५ वर्ष , मनोहर, मंजु, हेडसर राम , कक्षा शिक्षक ”सरिता“ ”स्याबास “ मिर जबाफ । मेडम मुस्करात, ”और कुछ हए सर?“ मए मुड हलातए कहो, ”बस थोरी औ ।“ मए मनय मनमे सोचो कि जा बच्चक दिमाक  कम्पुटर हए जो पुछओ फटाफट  ।

मए बहे बच्चाके एक पाठ पढन कहो बो पाठ बहुत अच्छे से पढि । कहुं थोरी लवज बिगड्त रहए फिर समार लेत रहए काहेकी बो किताब त रानाथारु भाषामे लिखि रहए । फिर के मए कक्षा १ कि दुसरी सेक्सन मे गओ । हुंवा सरसे परिचय देतए अनुमती मागो औ एक बच्चाके अपन ठिन बुलाओ । ”तिम्रो

नाम के हो बाबु ? मए पुछो । बच्चा अपन शरीर हलान लागो, हात मुड मे धरी, घेंट टेढो करि । मए फिर कहो“ भन भन्, यो चकलेट दिन्छु। धिरेसे ”केछब, गाउँ पचकलिया“ । सर जा बच्चा अच्छे से नाए मसक पात हए का ? ”सर कहि काहेन, खुब मस्कत हए जाके रानामे पुछओ । जब मए राना भाषामे पुछो तओ बो बच्चा फटाफट  जबाफ देन लगो, ”केसब, पचकडिया, एक कक्षा, हरि ।“ स्कुलसे मए अपन घर घेन कि यात्रा सुरु कर्दओ । डगरमे मए सोचन लगो किताब के बारेमे, बे बच्चा के बारेमे, उनकी पढाइक बारेम ।

उजियाराे रानाथारू भाषा कि किताब से

ध.उ.म.न.पा.–११,

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