रानाथारूमे बैचारीक अन्दाेलनकाे आवश्यक्ता

१५ पुष २०७६, मंगलवार
रानाथारूमे बैचारीक अन्दाेलनकाे आवश्यक्ता

राजकुमार राना

कैलाली , १४ क्वाँर  २०७६ । समयके तमान कालखण्डमे राष्टमए भए राजनैतिक बदलावके दौरान सबए जाती समुदायको संलग्नता औ राजनैतिक चेतनाको स्तर पक्कएफिर बढिगओ हए । जहाँसम्म रानाथारु समुदायकी बात आथए, रानाथारु एकमात्र ऐसो जाती समुदाय हए जो अपनो काम पूर्णरुपमे इमान औ धर्मके संग निडर दृढ हुइके करत हए ।

जहे हमर विशेषता हए औ पहिचान फिर । जब जब राष्ट्रमे कोइ परिवर्तन भओ हए प्रत्यक्ष औ अप्रत्यक्ष रुपमे हमर समुदायको संग्लनता रहो हए । इतीहासको कालखण्ड देखोजाएता २००७ सालमे भओ राणा शासन विरोधी आन्दोलन, भिमदत्त पन्तको आन्दोलनसे लैके १० बर्षे शसस्त्र जनयुद्ध २०६२–०६३को विशाल जनआन्दोलनमे तक संलग्नता मात्र नाए बलिदानीपुर्ण योगदान रहोहए । जहेमारे स्वभाविक हए कि कुछ हदसम्म हमर समुदायसे राजनितीमे संलग्नता औ राजनितीको स्तर बढिगओ हए ।
अब प्रसंग हए रानाथारु आन्दोलनको जो ऐतिहासिक औ महत्वपूर्ण रहए जाको मर्मको आवश्यकता आजफिर हए । जा प्रसंग रानाथारुको विशिष्ट पहिचानको पृष्ठभुमिसे सुरुवात होत हए । नेपालको सुदूर पश्चिम प्रदेशके २ जिल्ला कैलाली कंचनपुरमे इकल्लो बसोबास रहे हमर समुदायको अलग्गए, विशीष्ट कला संस्कृति, भाषा, भेषभुसा, रहनसहन समाजिक तथा आर्थिक संरचना रहोभओ आदिवासी समुदाय हए ।

वि.सं. १९१४ घेन तत्कालिन भारतमे बृटिस साशनकालमे नेपालके बाँके, बर्दिया, कैलाली, कंचनपुर करके ४ जिल्ला नयाँ मुलूकके रुपमे प्राप्त करतपेती भुगोलसहीत आएभए एकमात्र जाती रानाथारु जाती हए । वि.सं. २०५७ साल घेनी नेपालको तत्कालिन सरकार सुचिकरण आयोग मार्फत आदिवासी जनजातीको सुचिकरण करनपेती नेपालमे जम्मा ५९ जाती इकल्लो सुचिकरण करी रहए औ बहे बखत रानाथारु समुदायके सुचिकृत करन छुटाइ रहए जो हमर ताहीं सबसे बडी बात हए जहे म्याण्डेडके संग संलग्न रानाथारु समुदाय अपनो समुदायिक पहिचान स्थापित करन, सामुदायिक हकहीत औ राज्यको मूलधारमे न्यायिक प्रतिनिधीत्वके ताहीं सिंगो रानाथारु समुदाय आजसम्म निरन्तर रुपमे पहिचान स्थापित करनको मुद्दा लैके संघर्षरत हए ।

संघर्षके दौरान नेपाल रानाथारु समाजके अगुवा जनइया बुझैयानके नेतृत्वमे आन्दोलन लम्मो समय तक चलो जौनके बाबजूत २०६९ जेठ १४ गते तत्कालिन नेपाल सरकार बार्ताटोली मार्फत बार्ताके ताहीं बुलाई जौन बार्तामे ८ बुँदे ऐतिहासिक सम्झौता भओ मगर अपसोचकी बात रानाथारु समुदाय अभएतक सुचिकृत ना भओ हए । अभएतक परिवर्तन भए तमाम सरकारके पहल करत सम्मतक जा मुद्दा गम्भीरतापुर्वक ना लइके वेबास्ता करोगओ हए । जा देशके तमाम समुदाय अपनो सामुदायिक अधिकार संवैधानिक तवरसे करी हए तहूँफिर अपने विशीष्ट पहिचान बारो रानाथारु समुदाय अपनो सामुदायिक अधिकार पानसे बन्चीत हए ।

जा रहए प्रसंग रानाथारु आन्दोलनको जा प्रसंग मात्र प्रसंग नैया महत्वपूर्ण बात हए जा आन्दोलनको मर्म औ औचित्यकी अगर जाको औचित्य औ आवश्यकता आजफिर हए कहेसे एकबार फिर आपनके जुरमुरान हए नत जा सामाजिक पहिचानको मुद्दामे एकदिन पूर्णविराम लागनके देर ना हए । तबहीमारे सबए महानुभावके मिर व्यक्तिगत घेनसे आग्रह हएकी आजफिरहूँके बैचारिक आन्दोलन औ संघर्षकी आवश्यकता हए ।

–धन्यवाद ।

( उजियाराे रानाथारू डटकम दाेस्राे अंक )

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