शिरोमणि महाराणा प्रताप कि बिरगाथा

२७ बैशाख २०७७, शनिबार
शिरोमणि महाराणा प्रताप कि बिरगाथा

डिल्लु राणा

धनगढी,२७ बैशाख

राणा थारू युवा मंच ९ मई २०२० के हर साल वीर शिरोमणि महा राणा प्रताप जयंतीक आयोजन करत अएहए
बिश्वा महामारी काेभिड १९ कोरोना भाइरस के चलत उत्तराखंड सरकार के दिशा निर्देश के अनुपालन मय पांच जनि से अधिक आदमी समारोह मे शामिल न हुइ पामंगे, लाक डाउन के चलत छोटो सो कार्य क्रम को आयोजन करो गओ हए ।
कैानहए राणा प्रताप ?
महा राणा प्रताप को जन्म सन १५४० ईस्वी मे राजस्थान के कुम्बल गढ़ मेवाड मे भौ रहए ।
महा राणा प्रताप के दउआ को नाव राणा उदय सिंह रहए और अइया को नाव जैवन्ता बाई रहए
महा राणा प्रताप की घरवारी को नाव महारानी अजब्दे रहए, और दादो को नाव राणा सांगा रहे महा राणा प्रताप के १७ लौड़ा और ५ लोडिया रहे
अमर सिंह नाव को लौड़ा बहुत बहादुर और पराक्रमी रहए, एकबार मुग़ल से युद्ध के दौरान अरावली की पहाड़मे अकबर के सबसे प्यारो सेनापतिसे अमरसिंह की लडाइ हुई गई रहए , और महाराणा प्रताप को सवसे बड़ो लौड़ा होने के नाते अपने भाला से घोड़ा समेत सेना पति के मार गिराई रहए । अमर सिंह अपने दउवा हानि, इतनी ताकत को धनी रहए ।महा राणा प्रताप की कुल ११ रानि रहए बो मे पटरानी को दर्जा महारानी अजब्दे के मिलो रहए महाराणा प्रताप की भाला को बाजन ८० किलो रहए
महा राणा प्रताप के घोड़ाक नाव चेतक रहए । महाराणा प्रताप हमारे वशंज के रूप मनोजत जात हए और तराई भावर मे जंगल वन मे रहे मुगलनं से लगातार युद्ध करत करत अपनी धर्म सस्कृति देश जाती के बचान ताहि वे हमेशा लड़त रहे । और तराई भाबर मे घाँस की रोटी खायके गुजारा करी रहए । अंत मे शिकार खेलत पोती १९ जनवरी १५९७ मे महाराणा प्रतापकि मृत्यु हुई गई ।
राना थारू युवा मंच
सांस्कृतिक प्रमुख

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