धनगढी , २० असार
सामन कि गित
यारी ए , हरि सुरसुत सौरौँ सारिदा रे …..
गुर गननेसमानामै रे …
गोरी के सो हए नैनन कजरा समालिया के ले हो मानै रे ..
यारी ए , हरि पहिलो मास चढों सामनको तिजियानके रितु आए रे ..
घर घर विटिया पुरिया बनामयँ भइया भतिजे की बरत मनामौँ रे ..
यारी ए , हरि गंगन मैया में झुडकी पोहामैं भइया भतिजे की उमर बढामैं रे ….
सुरसुत सौरौ सारिदा रे ….
यारी ए हरि पहिलो मास चढो भादौँको कान्हा जलम लैलेम मै रे …
साधु महातिमा अग्नि जलाए बैठे हए हुम्म जलाए …
यारी ए सखिया सहेली देखन आइ कान्हा जि के ढोक पडामैँ रे ..
यारी ए सुर……..
यारी ए पहिलो मास चढो क्वारनको दुल्हन पिया रे घर जामै रे ..
तुम त पिया मेरे लगो रि अन्देसा …
भुलहन प्रिया रे घर आमै रे …. यारी ए , हरि सुरसुत सौरौँ सारिदा रे …..