“रूवा कि घोडा” ,लोककथा

१८ चैत्र २०७६, मंगलवार
“रूवा कि घोडा” ,लोककथा

धनगढी,१८ चैत २०७६

लोककथा,रानाथारू भाषामे
बहुत अग्गुकी बात हय । एक गाउँमे बडहीक डेरा रहय । बे सब कहुँ खटपल्का, कहँु पहिया, कहुँ फाटक बनाए बनाए बेचयँ । और अपनी गुजारा चलामयँ ।
जिनमैसे एक गजब अल्छी रहय । कछु काम नकरय । बक बैयर धान कुटके लाबय, खानु बनाबय । और बा खाइखुइके लेटरहाबय । दिनभर सोबय ।
एकदिन बक बैयर गजब गुस्साइगई और कहीँ ‘कामउम करनताहिँ उइसी परोरहाथय । औरनके देखाओ दिनभर काम करथँय और मुर्गाक बुट्टी लाइके खाथयँ । जा उइसी परोरहाथय । कुछुनकछा ।’
अपनी बैयरकी गारी सुनके बा हसी और कही ‘जा बजारसे एक कट्टा रुवा लिआ । बासे मय उरनबालो घोडा बनादेहओ । तओ बेचन चलंगे और मुर्गाक बुट्टी खामंगे ।’
बजारसे रुवा लाईके घोडा बनाइके बे अब कडियामे दोनोघेन टलँगाइके बेचन चले । जाते जाते बहुत दुर पुग्गय पर एकु घोडा नाबिको ।
नेगत नेगत बे एक राजक दरबारमे पुगे । ‘जे सब घोडा उरथयँ’ कहिके पता पाइके राजा सब घोडा अपनी लौरक ताहिँ खरिदलै । बे दोने गजब खुशी भइँ ।
राजकुमार दिनभर घोडासे खेलय । बाके घोडामे बैठके उडनके मन लागो । ‘जा कसै उरथय ?’ बा लौरा कही । बंगरामे लैजाइके ‘लैचल मोके हवाकी सहारासे उपर’ कहिय तओ जा उरैगो कहिके घोडा उडानकी मन्तर सिकाइदयी ।
राजकुमार बंगरामे लैजाइके ‘लैचल मोके हवाकी सहारासे उपर’ कही का रहय घोडा उपर उपर उमसन लागो । हवक सहारै सहारामे जाएरहो उपरय उपर । पर, बाके घोडा फिर्ता करनके मन्तर पता नारहय । जाइके बा दुसरी राज्यमो गिरो । घर आइएनापाइ ।
बहुत दिन हुइगओ घर नाजापाइ तओ राजकुमारके आफत परिगओ । अब बा उतइ नोकरी ढूँरन लगो । पर, नोकरी कहूँ नापाइ ।
नोकरी ढुँरत ढुँरत एकदिन राजाकी दरबारमे पुगो । राजासे नोकरी मागी । पर, अपना राजकुमार हौँ कहिके नाबताई ।
राजा कही ‘और काम नाहय हुक्का भरके काम हय करैगे ?’ ‘ठीक हय’ राजकुमार कही । अब बा काममा लग्गओ । राजा दौसभर कचहेरी चलो जाबय, तओ रोज सान सबेरे बो हुक्का भरय ।
राजाकी एक बहुत सुतरी लौरिया (राजकुमारी) रहय । राजकुमारसे बाकी प्रेम हुइगओ । एकदिन राजकुमारी राजकुमारसे कही ‘मय तोसे ब्यहा करंगो ।’ राजकुमार कहीँ ‘मय एक नोकर हओ । मोसे ब्यहा करनके मत सोचौ राजकुमारी राजा मोके निकार्देहय ।’
राजकुमारी अपनी बाबा राजक ठिना गओ औरु कही पिता जान हम तुमसे एक बात कहैया हय । राजा कही कहाओ । राजकुमारी कही पिता जान हम जहे नोकरसे ब्यहा करंगे । राजा कहीँ ठीक हय तुमर मन हय तओ कर्लेओ । राजा बिनकी ब्यहा कर्दैै ।
बिनके ताहीँ राजा एक अलग मकान बनाइदइ । बे हुवय रहानलगे । रहामय खामै, रहामय खामय । राजकुमारी जतकाली हुइगओ । कुछ समय पिच्छु बच्चा फिर हुइगओ ।
बच्चा नेगन लगो, खेलन लगो । अइसिय राहते खाते रहाते खाते राजकुमारी फिरके जतकाली हुइगइ ।
राजकुमारी कही चलाओ मैके चलय हियाँ ठिक नाहय । और अपनी घर लैचलओ । राजकुमार कही ठीक हय । पर, राजकुमारके अपनी घर जानकी डगर पता नारहय ।
राजकुमारी फिरके लरकोरी होन बेरा आइगओ । राजकुमार कही कुछ दिन पच्छु जैहयँ । राजकुमारी नामानी । बा कही चलैया हय ता चल नत् मय फाँसी लैदेङ्गो ।
घोडाके बंगरामे लैजाइके तिनओ जनी बैठके कहीँ ‘लैचल मोके हवाकी सहारासे उपर’ घोडा फिर हवामे उरनलगो । हवामे उरत उरत जाय रहो । घोडा सात समुन्दर बीचकी टापुमे जाइके गिरो । राजकुमारी कही ‘जल्दी उतार जल्दी उतार’ बा ब्यानलगि रहय । बिनके उतारके आगी लेन गओ । गाउँ गाउँमे जाइके आगी मागय । एक लुघटा आगी पाइगओ ।
फिर घोडा उराइ हय और चलपरो । हवाके मारे पछार मुहके लुघटाक आगी भरभर
पजरय । पुगनके थोरीकिना रहिगओ रहय तले घोडामे आगि लग्के भरभर दिना
पजरिगओ । आपनओ गिरिगओ समुन्दरमे ।
समुन्दरमे कुलबुतिया मछरी मारत रहयँ । कुलबुतिया जाएके बाके पानीमैसे निकारी और बचाई । पर, बा अपनी परिवारसे भेटा नकरपाइ ।
यितय बालबच्चा लय राजकुमारी छटपटाइरही हय । उतय राजकुमार छटपटाबय । राजकुमारी दुसरी लौरा फिर जन्माइडारी । बे दोने बच्चा भुखकेमारे ऐया दौआ–ऐया दौआ रोज चिल्लामय ।
बहे डगर नैयासे मन्ह्यार रोज जाय करय । चुरी, भुजा बँेचे करय । मन्ह्यारके हातमे भुजा देखके दोनै लौरा कहान लगे– ‘अइयो भुजा–अइयो भुजा’ ।
राजकुमारी मन्ह्यारसे कही ‘भइया रे एक पोका मिर लौरक दैदे तोके धरम लगइगो ।’ मन्ह्यार कहीँ ‘तय आपय लैजा’ । राजकुमारी भुजा लेन गई हात नफाइखिना मन्ह्यार नैयामे तानके लैचलोगओ । अब हुँवा दुई ददा भैया रहीगय । अब अइयो दाउओ अइयो दउओ रोइरहो हय दोनो बच्चा ।
बहे डगर एक बुढिया फिर छिरे कर्त रहय । बहु बजारमे सामान बेचन जाय करय । बुढिया बच्चाके रोत सुनी और एकके फिरत देखी बा बुढिया बे दोनेक बटारलाई । घरमे लाइके बिनके सेवा सत्कार करी । अइसी करत करत बे ज्वान हुइ गए ।
अब बे दोने ददा भइया बा बुढीयासे कहीँ ‘ऐया हम अब नोकरी ढुँर लामै । तय हमय बहुत दुख कर्के पालो हय । अब हम तोके पालंगे ।’ बुढिया कही हबए मत जाओ । तुम छोटे
हओ । थुर और बडे हुइलेबै तओ करियो नोकरी । हबय मय तुमय खबाइए रहो हो जैसे तैसे कर्के ।
बे कहीँ ना हमय शरम लागथय । अब हम नोकरी करंगे । दोने ददा भैया नोकरी ढुँरन
चले । जाते जाते बे बिनकीे अइया के लैजानबारो मन्ह्यारके घरमे पुग्गय । पर, बिनके पता नरहय ।
बे दोने रातकी चौकीदारी करने नोकरी पाइगय । बे रोज रातके डिउटी करयँ । बालक आदमी एक छोटो रहय । डिउटी करत करत छोटे खुब सोनके मन करय । तओ छोटेके बक ददा रोज कहानी सुनाबय ।
भितर कोनेमैसे बिनकी ऐयाफिर रोज बिनकी कहानी सुने करय । एकदिन बडोबालो कही ‘भैया रे, रोज औरकी कहानी का बत्कामय । आज अपनि बिति बत्काएँ हाय ।’ ‘ठीक हय’ भैया कही ठीक हय बत्काओ ।
अपनी घरकी कहानी सुरु करी – ‘देख आपनकी दौवक एक रुवाकी घोडा रहय । बा घोडामे बैठके दौवा हमर मुमाकघर पुगो रहय । हुँवा पर ऐवा और दौवाकी प्रेम हुइगओ और बे ब्यहा करीँ । तओ मय जल्मो । तय गरभमे रहय ।
एकदिन ऐया दौवासे कही अब हम अपनी घर चलएँ । हिना अच्चो नाहय । तओ दौवा हमय घोडामे बैठारके लैजान लगो । जाते जाते बीच समुन्दरमे पुगेखिना तै जल्मन लगो । दौवो घोडाके समुन्दरकी टापुमे बैठारी । और गाउँघेन आगी लेन गओ । आतपेती घोडामे आगी लग्गओ और दौवा उतै हराइगओ ।
ऐयाके एक आदमी पकरके लैचलो गओ । तय और मय रहिगय । बहेबेरा एक बुढीया आई और हमय लैजाएके यित्तो बडो कर्के पाली । अब हम बहेके सेवा कर रहेहयँ ।’
जिनकी कहानी बन्धक बनके बैठी बिनकी ऐया (राजकुमारी) रोज सुनय । पर, जे मिर लौरा हयँ कहिके पता नारहय । आजकी कहानी सुनके बाके पता भओ । बा सोची मिर लौरनके यितनो दुःख हयँ । अब जिनके म मरायदेहओ ।
अब रातभर कहाँसे फिरके सबेरे मन्ह्यार आओ । राजकुमारी कहीँ ‘जाओ यिनके फाँसी लगाइदेओ । जे नोकर ठीक ना हयँ । ’ मन्ह्यार राजी हुइगओ ।
बहेदिन मन्ह्यार बिनके फाँसी देनबारो ठाउँमे लैके गओ । फाँसी देनबारो ठाउँमा बिनको दौवा (राजकुमार) काम करय । दौवा और लौरा एकठीना हुइकेफिर बे नाचिनपाइँ ।
मन्ह्यार कही ‘जिनके फाँसी लगाओ ।’ राजकुमार कही‘ जे बच्चा तेरे का खराबी करीँ ?’ । बे दाने बालका फिरके अपनी कहानी सुनाइ । राजकुमार जे मेरो लौरा हय कहिके
जानगओ ।
राजकुमार कही ‘अग्गु अपनी बैयरके लिया’ । मन्ह्यार बैयर लैके आओ । बा चिन्डारी । जहे मन्ह्यारके कारनसे हमर परिवार खतम भओ कहिके बे सब मिलके मन्ह्यारके फाँसी चढाइदैँ ।
और बे सब एकठिहामे सिमट्गय । बुढीयाके फिर अपनी घरमे लैजाइके सबय जनी खुशी और सुखी हुइके रहान लगे । और अपनी राज्यमे जाइके राजपाट खिलान लगे ।

लेओ भैया बात गई सपड

संकलक : इन्द्र चौधरी

रासस : गर्खापत्र पत्रिकासे

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