काठमाडाैँ,२२ भादाैँ । भाषा आयोगसे अपन ५ औ वार्षिक प्रतिबेदन सार्बजनिक करिहए बोमे सुदुर पश्चिममे सरकारी कामकाजी भाषाके रुपमे डोटेली और थारु भाषा कहिके सिफारिस करिहए । सुदुर पश्चिम प्रदेशमे सरकारी कामकाजी भाषाके रुपमे रानाथारु भाषाके छुटाइ कहिके रानाथारुवालोग अन्दोलनमे उत्रे हएँ ।
सुदूुर पश्चिम प्रदेशकी तराई कैलाली, कञ्चनपुर जिल्लाके पहिलो आदिबासी रानाथारु समुदायके भाषा आयोग अन्याय करिहए कहिके काठमाण्डौक माइती घर मण्डलामे रानाथारुवा विरोद्ध प्रदर्शन करिहएँ । रानाथारुको भाषिक अधिकार सुनिश्चितता कर, बिभेदकारी सिफारिस नाएँहोनपडो, पहिचान मिटान नपाइगे ।
रानाथारु सुदूर पश्चिमको मुल आदिबासी हए आदि प्लेकार्ड दिखात शान्ति पूर्ण प्रदर्शन करि हएँ । सबए मापदण्ड पुरा करि जा भाषाके आयोग अपनए तयार पारि मापदण्ड अनुसार शुरुवाति प्रतिवेदनमे रानाथारु भाषाके समाबेश करि रहए । पर बाकि विपरित अचानक अप्रत्यासित ढंगसे अन्तिम क्षणमे रातारात षडयन्त्र पुर्वक तरिकासे रानाथारु भाषाके प्रतिवेदनसे हटानमे घोर आपत्ती और असन्तुष्टि व्यक्त करतए रानाथारुवा अन्दोलनमे उत्रि हएँ ।
सुदुरपश्चिमकी तराइकि जिल्ला कैलाली और कंचनपुरमे बसोवास करनवाले मौलिक कला, संस्कृति, इतिहास, भाषा, रितिरिवाज एंवम अलग्गै पहिचान भए मूल आदिवासी जनजाति, भुमिपुत्र रानाथारु समुदायकी भाषाके सरकारी कामकाजी भाषा बनानके ताहि सबए आधार पर्याप्त जनसंख्या, भाषाकी इतिहास, व्याकरण, शब्दकोश, पाठसंकलन, लोकवार्ता, वर्ण निर्धारण, मानकिकरण, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक निर्माण हुइके कैलाली और कंचनपुरके सामुदयिक विद्यालयमे अध्ययन अध्यापन समेत होन डटो हए । जासे जद्धा और का आधार चाहइगो कहतए पूर्व वन तथा वातावरण मन्त्री नारदमुनि राना आयोग के उपर प्रश्न करि हएँ ।
भाषा आयोग नेपाल सरकारके बुझाइ ५ औँ वार्षिक प्रतिवेदनमे सुदुरपश्चिम प्रदेशकी सरकारी कामकाजी भाषाकी सिफरिस नसच्याए सम अन्दोलन जारी रहइगो नेपाल रानाथारु समाजके अध्यक्ष कृपा राम राना बताइ हएँ । कलकि दिनमे आवश्यक पडहएत् जैसो फिर अन्दोलन करन तयारी हएँ करके आयोगके चेतावनी फिर अध्यक्ष राना दईहएँ ।