कुस्मी सागर , कैलाली
जिन्दगीको कहानी सुनाओं कैसे ।
एकिल्लो हओं गुन्गुनाओं कैसे ।
अइसिए हए जीवन मिर त संगी,
मुटु भितरकी धड्कन हटाओं कैसे ।
मुक्तक-२
जिन्दगी सफरए सफरमे चलत हए ।
अनगिन्ती रहए रहरमे चलत हए ।
एकिल्लो भट्कटहओं हिनपर मए,
सुनसान डगए डगरमे चलत हए ।