कमल सिंह राना
धनगढीप , १८ चैत
लाल टोहक नुन सङ्ग दोहरौना खानक मजए अलग रहए ।
सिसि करत गलि पिछु लार चुचबानक सजए गजब रहए ।।
गुदरिया लए रात भर भेडुवा देखनकि मजए अलग रहए ।
फाइट आतए उठाए दिए कहिले सोनक मजए गजब रहए ।।
बिहन लगात लगात पुटपुरा बिनन जान मजए अलग रहए ।
कोसम खाएके गुठलि फत्तस उगल देन मजए गजब रहए ।।
आम, बिँहि और अठन्नि लुकलुकके खान मजए अलग रहए ।
बेर, औंरा और अम्मारि तोरन जान मजए गजब रहए ।।
खेलत गिड्डि सङ्गिनके पदौन कि मजए अलग रहए ।
लहडु लए अँकरा नोचन जान कि मजए गजब रहए ।।
नरबा और खेतनमे बन्सि लगान कि मजए अलग रहए ।
पुरछेहाँओस पानी मे पैरन कि मजए गजब रहए ।।
घामु दिनन बगियामे आम बिनन मजए अलग रहए ।
खिरा तरबुज चिरिक चिरि खानक मजए गजब रहए ।।
लट्टा लए मन्जा जोडक पतङ्गिया लडान मजए अलग रहए ।
अम्ताकछडि खेलतए नेबु कलएके खान मजए गजब रहए ।।
कबड्डि घुच्चि तिउरा खेलन कि मजए अलग रहए ।
लढि़या भरे बेँहड़क मेला देखन कि मजए गजब रहए ।।
धनगढी गावँ, ध.उ.म.न.पा. वार्ड नं. ८ के कुछ बरस पहिले असामयिक निधन भए सङ्गि सुगरिम रानाकि सम्झनामे रचना गकराे कबिता ।