नेपालमे संघियताको विकास और संवैधानिक व्यवस्था

२० मंसिर २०७७, शनिबार
नेपालमे संघियताको विकास और संवैधानिक व्यवस्था

धनगढी,२० अगहन ।

संधियता शासन और शासन सञ्चालनको एक प्रणाली तथा प्रकृया हए । राज्य शक्तिके केन्द्रमे मात्र सिमित न रखाएके विभिन्न राज्य, तहमे स्वायत्त और सह शासन करनिया मान्यता कहोक संघीयता हए । राज्यके एक से जाधा स्वायत्त इकाइ अथवा सरकारमे विभाजन करके शासन संचालन करनिया विधि कहोक संघीयता हए ।
नेपालमे ईशापूर्व छैंठौं शताब्दी घेन वर्तमान नेपालको कपिलवस्तु क्षेत्रमे शाक्य और नवलपरासी क्षेत्रमे कोली जातके कविलाई लोग संघीय शासन ब्यवस्थाको अभ्यास करिरहएँ । ईशापूर्व चौथो शताब्दी घेन नेपालके लिच्छवी, वज्जी, विदेह, मल्ल अइसी करके और जात मिलके महासंघ बनाईरहैं जक उदाहरण ईतिहासमे लिखो मिलत हए ।

आधुनिक नेपालको ईतिहासमे राणा शासनको अन्त्य (२००७) और लोकतान्त्रिक शासन घेनको सुरुको यात्रा के संग तराई कांग्रेस (२००८), जे सबसे पहिले स्वायत्त तराई प्रदेशको माग करके संघीय मान्यतामे मुलुकके लैजानको धारणाको सुरुवात करिरहएँ ।

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टीको प्रथम संम्मेलन (२००८) मे पुष्पलाल द्धारा प्रस्तुत और सम्मेलनसे पारित प्रस्ताव स्थानीय और इलाकीय (क्षेत्रीय) सरकारको प्रावधान रहए । अइसी करके नेपाली कांग्रेसको जनकपुर सम्मेलन (२००९) मे सात सालसे अग्गुक संरचना बदलन और अञ्चल, जिल्ला, गाउँ, नगर सहितको नयाँ संरचना बनानको प्रस्ताव प्रस्तुत करी रहए ।

जा कहोक केन्द्रिकृत शक्ति के विकेन्द्रीकरण करनमे जोड दैरहए । ऐसी करके नेपाल सदभावना पार्टी (२०४७) को २०४८ को निर्वाचन पिछु अपन घोषणापत्रमे नेपाल के पाँच प्रदेश ( पुर्वी मधेश, पश्चिमी मधेश, पुर्वी पहाड, मध्य पहाड और पश्चिमी पहाड ) को संघीय संरचना अनुसार लैजान पडो कहिके जोड दैरहए ।
खास करके २०४७ साल पिछु जातीय स्वायत्त प्रदेश सहितको संघीय राज्यको संस्थागत आवाज उठो हए । नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) को वैधानिक मञ्च संयुक्त जनमोर्चा नेपाल से पस्तुत भओ चालिस बुँदे माग (२०५२) मे जनजातिको बाहुल्य भए क्षेत्रमे स्वायत्त शासन, पिछडे भए ,

इलाकामे क्षेत्रीय स्वायत्तता, पहाड और तराईको क्षेत्रीय भेदभावको अन्त्य करनको विषय अग्गु बढाईरहए । तिसरो संसदीय निर्वाचन (२०५६) के पिछु नेकपा (माओवादी) द्धारा भओ शसस्त्र संघर्षके समयमे स्वायत्त राज्य और समानान्तर सरकारको प्रारम्भिक अभ्यास (२०६०) भओरहए ।

जा अभ्याससे राज्य पुनर्संरचना सहित संघीय मान्यताको अवधारणामे वैचारिक और राजनीतिक रुपसे अग्गु बढान बल पुगो । निरंकुश राजतन्त्रको अन्त्य करन ताही पुर्ण लोकतन्त्रके पक्षमे राज्यको पुनर्संरचना और शान्तीपुर्ण जनआन्दोलन अग्गु बढान सरकार मे भए सात राजनीतिक दल और ,

नेकपा (माओवादी) बीच १२ बुँदे समझदारी से राजनीतिक निकास सहित संविधानसभा से राज्यको पुनर्संरचना करनको सहमति भओ । मधेशवादी दलको माग सहितको आन्दोलन से नेपालको अन्तरिम संविधान– २०६३ मे तिसरो संशोधन करके संघीय लोकतन्त्रको संवैधानिक प्रावधान थपो गओ ।

जा संशोधन नेपालके संघीय राज्य बनान महत्वपुर्ण भुमिका निर्वाह करि करके दिखात हए । संविधान सभाको पहिलो वैठकसे विधिवत रुपमे संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रको घोषणा सहित जा को कार्यन्वयन मे सवए राजनीतिक दल घेनसे प्रतिबद्धता प्रकट भओ रहए । और नेपालमे लागु फिर भओ ।
नेपालको संविधानमे संघीयता और संघीय प्रणाली सम्बन्धी ब्यवस्था ः
नेपालको अन्तरिम संविधान २०६३ से संघीयताको संवैधानिक घोषणा और प्रतिवद्धता होएसेफिर संघीयता तथा संघीय शासन प्रणालीको वास्तविक अभ्यास ना होनके कारण नेपालको संविधान २०७२ को भाग ५, धारा ५६ मे नेपालको मूल संरचना संघ, प्रदेश और स्थानीय तह करके ३ तहको होन तथा भाग ७ धारा ७४ मे शासकीय स्वरुप÷प्रणाली को ब्यवस्था भओ हए । वर्तमान संविधानमे संघीयता सम्बन्धी ब्यवस्था देहाय बमोजिम हए ।
(क) प्रस्तावना ः
संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक शासनसे दिगो शान्ति सुशासन, विकास और समृद्धि लानको प्रतिवद्धता ।
(ख) नेपाल राज्य ः
नेपाल संघीय राज्य हुइहए । ( धारा ४ मे व्यवस्था हए)
(ग) राजनीतिक उद्देश्य ः
धारा ५०(१) बमोजिम परस्पर सहयोगमे आधारित संघीयताके आधारमे संघीय इकाइ बीच सम्बन्ध संचालन तथा संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके सुदृढ करनिया व्यवस्था करन
(घ) राष्ट्रिय एकता और राष्ट्रिय सुरक्षा सम्बन्धि नीति ः
धारा ५१(क)(२) बमोजिम संघीय इकाइ बीच सहयोगात्मक सम्बन्धको विकास करन ।
(ङ) राननीतिक और शासन व्यवस्था सम्बन्धी नीति ः
धारा ५१(ख)(६) बमोजिम संघीय इकाइ बीच जिम्मेवारी, स्रोत साधन और प्रशासनिक साझेदारी करत सुमधुर सहयोगात्मक सम्बन्धको विकास और विस्तार करन ।
(च) राज्यको संरचना और राज्य शक्तिको बाँडफाँड ः
धारा ५६ राज्यको संरचना ः संघ, प्रदेश और स्थानीय करके ३ तहको होन ।
धारा ५७ राज्य शक्तिको बाँडफाँड ः अनुसुची ५ से ९ बमोजिम एकल और साझा अधिकार मार्फत होन ।
धारा ५८ अवशिष्ट अधिकार ः संघके मात्र प्रयोग करन ।
धारा ५९ आर्थिक अधिकारको प्रयोग ः संघ, प्रदेश और स्थानीय तह संविधान और कानून बमोजिम आर्थिक अधिकार प्रयोग करन ।
धारा ६० राजश्व स्रोतको बाँडफाँड ः संघ, प्रदेश और स्थानीय तह अपन अपन अधिकार क्षेत्रके विषयमे कर लगान तथा राजश्व उठान प्रयोग करहएँ ।
(छ) शासकीय स्वरुप ः
धारा ७४ बमोजिम नेपालको शासकीय स्वरुप संधात्मक हुइहए ।
(ज) संघ, प्रदेश और स्थानीय तहबीच अन्तर सम्बन्ध ः
धारा २३३ संघ, प्रदेश और स्थानीय तहबीचको अन्तर सम्बन्ध, सहकारिता, सह–अस्तित्व और समन्वयके आधारमे हुइहए ।
धारा २३४ संघ, प्रदेश और स्थानीय तहबीचको सम्बन्ध सम्बन्धी ब्यवस्था ।

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